06 January 2021 06:53 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। महिलाओं व बच्चियों को अपमानित करने वाली एक और कुप्रथा का भारत के बाद अब पाकिस्तान के एक प्रांत में भी अंत हो गया है। रेप व यौन उत्पीड़न के मामलों में होने वाले वर्जिनिटी टेस्ट (कौमार्य जांच) पर लाहौर हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है। हाइकोर्ट की चीफ जस्टिस आयशा मलिक ने इस टेस्ट को अवैध व असंवैधानिक करार दिया है। हालांकि यह बैन केवल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में ही लागू होगा। अन्य राज्यों की रेप व यौन उत्पीड़न की शिकार हुई महिलाओं को अब भी ये दर्द बर्दाश्त करना होगा।
हाल ही में मार्च माह में दो मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस पर पाबंदी लगाने के संबंध में याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए यह फैसला लिया है।
क्या होता है टू फिंगर अथवा वर्जिनिटी टेस्ट---
जानकारी के अनुसार टू-फिंगर टेस्ट के तहत महिला के जननांग में एक या दो उंगली डाल कर देखा जाता है कि वहां हायमन मौजूद है या नहीं है। यह सिर्फ यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि एक महिला के शारीरिक संबंध थे या नहीं।
कई चिकित्सकों का दावा है कि इस टेस्ट से पता चल सकता है कि किसी महिला के साथ पहली बार शारीरिक संबंध बनाए गए हैं। अगर किसी महिला के शारीरिक संबंध रहे हों और वह दुष्कर्म पीड़ित हो तो इस टेस्ट के सहारे उसके बयान को नकार दिया जाता था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साफ तौर पर इस टेस्ट को ख़ारिज किया है कि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है वहीं यह मानवाधिकार का उल्लंघन भी है।
बता दें कि भारत ने इस टेस्ट पर 2013 में ही पाबंदी लगा दी थी, वहीं बांग्लादेश व अफगानिस्तान ने 2018 में इस पर पाबंदी लगाई।
यूएन ह्यूमन राइट्स व डब्ल्यूएचओ ने इसे अवैज्ञानिक करार दे रखा है। डब्ल्यएचओ के अनुसार एशिया के बीस देशों में अब भी वर्जिनिटी टेस्ट करवाया जाता है।
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