26 October 2020 09:43 PM
-रोशन बाफना- क्राइम रिपोर्टर
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। अवैध धंधों की गिरफ्त में आए बीकानेर को सबसे अधिक ख़तरा 'मौत के ब्याज' से है। यहां हर गली में कोई ना कोई इस अवैध माफिया की चपेट है। मौत का ब्याज़ इसलिए कि इस तरह के ब्याज पर एक बार जो पैसा ले लेता है वह मौत से पहले सूदखोरों से पीछा ही छुड़ा नहीं पाता। ख़बरमंडी न्यूज़ द्वारा की गई अब तक की तहकीकात में सामने आया है कि बीकानेर में मौत के ब्याज की अधिकतम दर चालीस रूपए सैकड़ा भी प्रचलित है। इस ब्याज पर अगर कोई एक लाख रुपए ले ले तो मूलधन तो दूर उसका ब्याज ही कभी नहीं चूक पाता। वैसे तो साहूकारी के ब्याज पर भी बाजार में पैसे मिलते हैं, लेकिन उसके लिए कर्ज लेने वाले की मार्केट वैल्यू बड़ा फैक्टर है। बीकानेर के बाजार में पचास पैसे से लेकर चालीस रूपए सैकड़े तक का ब्याज चल रहा है। तो वहीं दो सौ रूपए सैकड़ा भी बाजार में धड़ल्ले से धूम मचा रहा है। बता दें कि एक रूपए सैकड़े का मतलब एक लाख पर एक माह का एक हजार रुपए ब्याज। लेकिन मौत के ब्याज का मामला तीन रूपए सैकड़े से शुरू होता है यानी एक लाख पर तीन हजार रुपए मासिक। सुनने में तो एक लाख पर तीन हजार रुपए अधिक नहीं लगता, लेकिन एक सामान्य आदमी को इतना ब्याज चुकाने के लिए भी कर्जा लेना पड़ जाता है। उसके बाद भी वह मूलधन कभी चुका नहीं पाता। बता दें कि तीन रूपए सैकड़े पर भी सूदखोर पैसे तब देते हैं जब उन्हें ब्लैंक चैक व सोने के आभूषण सिक्यूरिटी के तौर पर दिए जाते हैं। मज़े की बात तो यह है कि सूदखोर इसी सिक्यूरिटी वाले सोने को गोल्ड लोन देने वाली कंपनियों को गिरवीं रख कम पैसे वाले ब्याज पर पैसा उठा लेता है। वहीं एक अन्य खतरनाक गणित भी प्रचलन में है जिसमें सूदखोर एक हज़ार रूपए उधार देता है व पंद्रह दिन तक रोज सौ रूपए लेता है। इस गणित में कर्ज लेने वाला अनुमान ही नहीं लगा पाता कि उसके साथ क्या हो रहा है। लेकिन उसका खून तक चूस लिया जाता है। इस ब्याज की गणना वैसे तो आसमां के पार जाती है। लेकिन सीधे एक हजार पर पंद्रह दिनों में मिले पांच सौ रुपए ब्याज का ही हिसाब लगाया जाए तो यह सौ रूपए सैकड़ा बैठता है। वह भी तब जब हिसाब घटते क्रम में न लगाया जाए। वहीं इसी मामले में दो सौ रूपए सैकड़ा भी वसूला जा रहा है।
चौंकाने वाले परिणाम तो तब देखे गये जब एक लाख रूपए लेने वाले व्यक्ति ने 6 माह में 7.50 लाख चुका दिए, फिर भी कर्जा नहीं चुका। बीकानेर में बढ़ रही चोरी, लूट, फायरिंग व हत्या व आत्महत्या जैसी घटनाओं के पीछे सबसे बड़ी वजह यह मौत का ब्याज है। बीकानेर में अगर अपराध रोकने है तो कलेक्टर व एसपी को मौत के ब्याज पर लगाम लगानी होगी। इस अवैध धंधे में नुक्कड़ छाप छिछोरों से लेकर नामचीन लोग शामिल हैं। वहीं बीकानेर का कोई भी थाना क्षेत्र इस मौत के माफिया से अछूता नहीं है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इन माफियाओं को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है तो कहीं कहीं तो अलग अलग पार्टियों में हस्तक्षेप रखने वाले व्हाइट कॉलर चेहरे धड़ल्ले से मौत के ब्याज पर पैसे दे रहे हैं।
चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस माफियाओं से कुछ पुलिस कांस्टेबलों की सांठगांठ भी रहती है। इसी के दम पर यह माफिया कर्जदार के चैक का दुरूपयोग भी कर रहे हैं। लेकिन पीड़ित को न्याय नहीं मिलता। अगर चैक बाउंस के अधिकतर केसों पर भी पुलिस फोकस कर पड़ताल करे तो इन माफियाओं तक पहुंच सकती है। बता दें कि अधिकतर सटोरिये ब्याज माफिया भी है। वहीं अधिकतर झूठे मुकदमों का संबंध भी ब्याज से जुड़े मामलों से होता है।
सूत्रों के मुताबिक शहरी क्षेत्र में बड़ा बाजार, रांगड़ी, मोहता चौक, नत्थूसर गेट, जस्सूसर गेट, दाऊजी रोड़, खजांची मार्केट, गणपति प्लाजा, फड़ बाजार, केईएम रोड़, इंदिरा कॉलोनी, व्यास कॉलोनी, पवनपुरी, गंगाशहर, गोगागेट, सुजानदेसर, घड़सीसर रोड़, नोखा रोड़, भीनासर, हरिराम मंदिर चौक, चोपड़ा बाड़ी, कुम्हारों की मोड़ सहित शहर के गली गली कूचे कूचे में ये माफिया पनप रहे हैं। अगर पुलिस व प्रशासन इस माफिया की कमर तोड़ दे तो आत्महत्या के मामलों में कमी आ जाएगी। वहीं चोरी, लूट-डकैती सहित अन्य अपराधों में कमी आ सकती है।
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