29 August 2025 03:19 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। अहिंसा को परम धर्म मानने वाले जैन धर्म में त्याग और तपस्या का परम महत्व है। यहां छोटे छोटे बच्चे भी कठिन तपस्या कर चौंका देते हैं। जैन धर्म में एक उपवास भी बेहद कठिन होता है।
इस चातुर्मास बीकानेर जिले में तपस्या की झड़ी लग गई। इसी कड़ी में नाहटा चौक, बीकानेर निवासी कन्हैयालाल भुगड़ी ने 63 दिनों का तप करके चौंका दिया। मंगलचंद-सुंदर देवी भुगड़ी के पौत्र व मोतीलाल-केसर देवी के पुत्र 65 वर्षीय कन्हैयालाल भुगड़ी पांच सालों से तपस्यारत हैं।
कन्हैयालाल के पुत्र कुन्तेश ने बताया कि उनके पिताजी पिछले पांच वर्षों से घोर तपस्या कर रहे हैं। इससे पहले उपवास से अधिक कोई तपस्या नहीं की। पांच वर्ष पहले सर्वप्रथम 11 दिनों की तपस्या की। बस यहीं से तप की यात्रा शुरू हुई, जो निरंतर हर वर्ष जारी है।
पहले वर्ष 11, दूसरे वर्ष 21, तीसरे वर्ष 31, चौथे वर्ष 51 व अब पांचवें वर्ष 63 की तपस्या की है। इस तप में कन्हैयालाल की पत्नी कविता देवी व पूरा परिवार सेवा कार्य कर धर्म की प्रभावना बढ़ा रहा है।
ऐसे होता है ये कठिन तप: जैन धर्म का एक उपवास करीब 36 घंटों का होता है। जैसे कल शनिवार का उपवास करना है तो शुक्रवार की रात 12 बजे से अन्न जल का त्याग हो जाएगा। इसके बाद सीधे रविवार के सूर्योदय के 48 मिनट बाद ही पारणा किया जाएगा। यह चौविहार उपवास की प्रक्रिया है, जबकि तिविहार उपवास में सूर्य की साक्षी में निर्दोष जल लिया जा सकता है।
-बिना अन्न जल रहे 63 दिन:- कन्हैयालाल ने 63 दिनों की चौविहार तपस्या की। चौविहार यानी जल भी ग्रहण नहीं करना। 63 दिनों में एक अन्न का दाना तो दूर, एक बूंद जल भी ग्रहण नहीं किया।
-अब दो माह तक रखना होगा विशेष संयम: जैन तपस्या में जितने दिन की तपस्या होती है, उतने ही दिन बाद में भी विशेष संयम पालन करना पड़ता है। कन्हैयालाल ने 63 दिनों की तपस्या की, अब उन्हें दो माह तक विशेष परहेज रखना होगा। एक माह तक तो काढ़ा, बादाम व कुछ विशेष तरल पदार्थ पर ही रहना होगा। इसके बाद उबली हुई सब्जी व आधी चपाती से भोजन शुरू होगा। तपस्या के बाद का परहेज और अधिक कठिन होता है।
बता दें कि बीकानेर में इस चातुर्मास छोटो छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने बड़ी संख्या में तप किया है। ख़बरमंडी न्यूज़ ऐसे सभी तपस्वियों के तप की अनुमोदना करता है।
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