12 June 2020 05:31 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। हालांकि ज़िंदा मरीजों से लेकर शवों की आत्मा पर यह पहली चोट नहीं है, पीबीएम में तो ये अक्सर होता है। लेकिन इस बार तो पीबीएम को संभालने वाले खुद अधीक्षक ने ही संवेदनहीनता की हदें पार कर दी। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या यह शव अधीक्षक के किसी परिजन का होता तब भी पत्थर दिल अधीक्षक डॉ मोहम्मद सलीम की संवेदनाएं नहीं जागती। संवेदनहीनता का यह मामला यूं है कि बुधवार रात को पीबीएम अस्पताल में एक 22 वर्षीय प्रसूता का शव उसके बिलखते परिजनों के समक्ष लावारिशों सा पड़ा रहा। परिजन भी करते तो क्या करते, मजबूर थे। बता दें कि इस समय सामान्य मृत्यु पर भी पीबीएम में कोरोना जांच के बाद ही शव सौंपा जाता है। सामान्यतया जांच आने में आठ घंटे का समय लगता है। लेकिन इस मामले में तो तीन घंटे तक वार्ड में ही शव पड़ा रहा।
सांड़वा हाल बासी बरसिंहसर निवासी २२ वर्षीय महिला संगीता पत्नी संजय कुमार को प्रसव पीड़ा के चलते ९ जून को रात करीब दस बजे पीबीएम के जनाना अस्पताल लेबररूम में भर्ती कराया गया था। उसी रात प्रसूता ने करीब साढ़े १२ बजे सामान्य प्रसव से लड़के को जन्म दिया। १० जून की शाम को तबीयत बिगड़ गई और शाम सात बजे पी वार्ड में मौत हो गई।
परिजनों का आरोप है कि मृतका के शव को किसी ने हाथ तक नहीं लगाया और शव करीब ढाई घंटे तक वार्ड में बैड पर ही पड़ा रहा। वार्ड में ड्यूटी चिकित्सकों ने सीनियर चिकित्सकों को मामले की जानकारी देते हुए कोविड-१९ की जांच के लिए टीम भेजने की बात कही लेकिन रात ११ बजे तक कोई सैम्पल लेने नहीं आया। इसके बाद परिजनों के एक रिश्तेदार ने पीबीएम अधीक्षक डॉ. मोहम्मद सलीम को फोन कर तीन घंटे तक सैम्पल नहीं लेने की जानकारी दी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
प्रसूता की मौत होने के चार-पांच घंटे तक भी मृतका का सैम्पल एसपी मेडिकल कॉलेज की कोरोना जांच लैब में नहीं पहुंचा। इसका पता चलने पर मृतका के रिश्तेदार बृजमोहन ने पीबीएम अधीक्षक डॉ. मोहम्मद सलीम से संपर्क किया लेकिन उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया, जिससे परिजन आक्रोशित हो गए। परिजनों ने देररात को ही इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी जिला कलक्टर को दे दी।
रात दो बजे तक लैब में सैम्पल नहीं पहुंचने पर पीबीएम अधीक्षक डॉ. मोहम्मद सलीम से बात की गई तब अधीक्षक ने कहा कि कलेक्टर को शिकायत की थी ना, अब जांच उन्हीं से करवा लो। अधीक्षक की हठधर्मिता के चलते करीब ढाई बजे बाद सैम्पल जांच लैब में पहुंचा।
अब मामले में अधीक्षक का कहना है कि प्रसूता की मौत की सूचना मिलने पर टीम भेजकर सैम्पल ले लिया गया था, सैम्पल लेने में बेवजह देरी नहीं की गई। सैम्पल लेकर जांच लैब में भेजने की एक प्रक्रिया है, जिसके तहत काम हुआ। जांच प्रक्रिया पूरी होने पर रिपोर्ट दे दी गई। नाराजगी व लापरवाही बरतने जैसे आरोप निराधार है।
वहीं जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम ने कहा कि पब्लिक सर्वेंट है तो उन्हें सबकी सुननी होगी। पीडि़त के साथ रुखा व्यवहार व अनुचित जवाब सही नहीं है। इस संबंध में एसपी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य से पीडि़त पक्ष के बयान लेकर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही किसी की मृत्यु होने पर कोरोना जांच अलग से विशेष कंडीशन में जल्दी देने की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए गए हैं।
इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य ए एल गौरी ने कहा कि मृतक की कोरोना जांच प्रक्रिया में लगने वाला समय ही लगता है। बेवजह देरी नहीं की जा रही है। अब सीबी नॉट मशीन का कार्टेज मंगवा रहे हैं, उसके बाद विशेष परिस्थितियों की जांचें तीन से चार घंटे में दी जा सकेगी। बुधवार रात को प्रसूता की मौत को लेकर हुए प्रकरण की जांच कराई जा रही है।
उल्लेखनीय है कि शव पर निष्ठुरता का ऐसा ही एक मामला लॉक डाउन के दौरान हुआ था। जिसमें इंद्रा कॉलोनी निवासी की कोरोना जांच बारह बजे आ जाने के बाद भी शाम 6 बजे तक इंतज़ार करने को कहा गया। परेशान परिजनों ने इधर उधर हाथ पांव मारे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके बाद अधीक्षक तक बात पहुंचाई गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आख़िर ख़बरमंडी द्वारा मुद्दा उठाने पर शाम चार बजे शव सौंपा गया।
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