19 March 2025 10:26 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। (पत्रकार रोशन बाफना की विशेष रिपोर्ट) चाहे इंसान हो या मशीन या चाहे नियम कानून हो, यह सब अप-टू-डेट रहे तभी अच्छे हैं। भारत में इंसान तो समय के साथ अपडेट रहता है लेकिन यहां के नियम-कानून अपडेट नहीं हो रहे। पुलिस विभाग में भी ऐसा ही कुछ चल रहा है। पुराने ज़माने की तत्कालीन परिस्थितियों के अनुसार बनाए कानून आज भी जस के तस लागू हैं। समय काल परिस्थिति के अनुसार इनमें अपडेट की जरूरत रही और आज भी है, मगर मजाल है कि कानून निर्माताओं द्वारा इन नियम कानूनों की सुध ली जाए।
बीकानेर एसपी द्वारा जारी आदेश संख्या 1067/2025 भी यही जाहिर करता है। दरअसल, एसपी बीकानेर ने समस्त थानाधिकारियों व वृताधिकारियों को एक आदेश जारी किया है। आदेशानुसार थानों में पदस्थापित समस्त उप निरीक्षकों व सहायक उप निरीक्षकों द्वारा अनुसंधान कार्य प्रयोजनार्थ स्वयं की मोटर साइकिल का उपयोग किया जा रहा है। इन पर पांच लीटर पेट्रोल की कीमत के बराबर मोटरसाइकिल भत्ता देय है। मगर यह भत्ता अपेक्षाकृत कम अनुसंधान अधिकारियों द्वारा प्राप्त किया जा रहा है। इसी तरह राजकार्य में अपनी साइकिल प्रयोग करने वाले कांस्टेबल भी साइकिल भत्ता अपेक्षाकृत कम ले रहे हैं।
एसपी ने आदेश जारी कर अनुसंधान व अन्य राजकार्य कर रहे उप निरीक्षक, सहायक उपनिक्षक व कांस्टेबल को भत्ता प्राप्त करने हेतु आवश्यक दस्तावेज भिजवाने को कहा है।
इस आदेश को पढ़ने पर दो सवाल खड़े होते हैं। पहला सवाल यह है कि हैड कांस्टेबल को मोटरसाइकिल भत्ता क्यों नहीं दिया जा रहा। जबकि वर्तमान में हैड कांस्टेबल भी अनुसंधान करने लगे हैं। ऐसे में विभाग अपने हैड कांस्टेबल स्तर के पुलिसकर्मियों को मोटरसाइकिल भत्ते से वंचित क्यों रख रहा है। दूसरा सवाल यह है कि कांस्टेबल को दिया जा रहा साइकिल भत्ता कहां तक समय संगत है। अब साइकिल का समय ही गया। पहले साइकिल भत्ते के पचास रूपए मिला करते थे। कुछ वर्षों पहले यह भत्ता 150 रूपए कर दिया है।
आख़िर क्यों पुलिस विभाग के नियम कानूनों में संसोधन नहीं किया जा रहा। यह वह समय है कि मोटरसाइकिल के बिना काम ही नहीं चल सकता। ऐसे में पुलिस विभाग को चाहिए कि वह सभी श्रेणी के पुलिसकर्मियों को राजकार्य अथवा अनुसंधान हेतु मोटरसाइकिल भत्ता दिया जाए। भत्ता राशि में भी संसोधन किया जाना आवश्यक है। बता दें कि राजस्थान पुलिस के कर्मचारियों को मिलने वाली तनख्वाह व भत्तों से लेकर विभिन्न नियम कानूनों में बदलाव की बेहद आवश्यकता है।
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