20 April 2022 04:43 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। (पत्रकार रोशन बाफना की रिपोर्ट) मुंबई के बाद अब बीकानेर भी एमडीएमए की चपेट में आकर बर्बाद हो रहा है। तिजोरी और दिमाग को तबाह करने वाले इस नशे ने बीकानेर में चारों तरफ अपने पांव पसार लिए हैं। हालात यह है कि लोग घर में पड़े पीतल तांबे के पुराने बर्तनों को बेचकर भी यह नशा खरीद रहे हैं। देश में कोकीन के बाद अगर कोई नशा मंहगा है तो वह एमडीएमए ही है। इसको लेने वाला दो चार माह में ही सड़क पर आ जाता है और उसका दिमाग गर्त में चला जाता है। देश के विभिन्न शहरों में इसका कोड वर्ड 'चावल' है। रासायनिक तत्वों से बना यह नशा बेहद ख़तरनाक नशा है। मुंबई की फिल्मी दुनिया में यह नशा खूब चलता है। पार्टियों में मनोरंजन के उद्देश्य से यह नशा लिया जाता है। फिल्म इंडस्ट्रीज के बड़े चेहरे व उनकी संतानें भी इस नशे से अछूती नहीं है।
क्या है एमडी या एमडीएमए:- 4- मिथाइल एनेडियोक्सी मेथामफेटामाइन (एमडीएमए) को एमडी या मौली के नाम से भी जाना जाता है। यह एक मनो सक्रिय नशा है। इसका असर सीधे दिमाग पर होता है। सफेद रंग के पाउडर में आने वाला यह नशा पान मसाले में मिलाकर खाया जाता है। हालांकि कई लोग इसे स्मैक की तरह सूंघकर, इंजेक्शन लगाकर भी उपयोग में ले रहे हैं।
- ग्राहक, तस्कर, कीमत और अड्डे:- एमडीएमए या एमडी पिछले कुछ समय से बीकानेर में काफी प्रचलित हो चुका है। पहले ये बीकानेर के नोखा में आया था। सूत्रों के मुताबिक तस्कर इसकी एक ग्राम की पुड़िया तीन हजार से 4500 रूपए में बेच रहे हैं। यानी सौ ग्राम की कीमत करीब तीन से साढ़े चार लाख रूपए तक होती है। तहकीकात में सामने आया कि इसे रजनीगंधा में मिलाकर खाया जाता है। अन्य पान मसालों में मिलाकर भी इसे खाया जा रहा है। बाजार में इसकी एक ग्राम, 2 ग्राम, 3 ग्राम, 6 ग्राम व 10 ग्राम की पुड़िया सप्लाई होती है।
सूत्रों से पता चला है कि जुआरी, सटोरिये, अमीर युवा, अमीर युवाओं के चमचे एमडी का नशा अधिक करते हैं। वहीं ब्याज माफिया, सटोरिये, गुंडे आदि भी इसकी तस्करी में शामिल है। एमडीएमए की सप्लाई करवाने में तस्करों के साथ कुछ बड़े सटोरियों की जुगलबंदी भी हो सकती है। इन सटोरियों की कुछ कुख्यात बदमाशों के साथ भी जुगलबंदी होने की सूचना मिली है।
सूत्र बताते हैं कि एमडीएमए कई सारी पान की दुकानों व चाय की दुकानों पर भी धड़ल्ले से बिकता है। शहर के मोहता चौक क्षेत्र स्थित एक चाय की दुकान पर कुछ तस्कर एमडी बेचने आते हैं। वहीं नत्थूसर गेट की कुछ दुकानों पर भी एमडीएमए बिकता है। व्यास कॉलोनी स्थित रामपुरिया लॉ कॉलेज के सामने की गलियों में कैफे के आगे खड़े लड़के भी एमडीएमए बेचते हैं। पढ़ें लिखे सभ्य दिखने वाले ये लड़के बड़े चतुर हैं। गांधी पार्क के आसपास भी एमडीएमए के सप्लायर मंडराते रहते हैं।
जयपुर रोड़ की कुछ होटलें, बाईपास का एक फार्म हाउस, रामपुरा क्षेत्र का एक नामचीन ठिकाना, जस्सूसर गेट, पूगल फांटा, धोबी तलाई आदि एमडीएमए का ठिकाना है। बताया जा रहा है कि यह नशा मूलतः मुंबई से पूरे देश में पहुंचता है। बीकानेर में मुंबई के अलावा फलौदी व बाप के सप्लायर भी एमडी भेजते हैं।
-पुलिस बनी है लाचार:- स्मैक, नशे की गोलियों, कोडीन सिरप जैसे मादक पदार्थों की अवैध बिक्री सहित एमडीएम के बढ़ते नशे को लेकर पुलिस कोई खास एक्टिव नजर नहीं आ रही। पिछले दिनों एमडीएमए से जुड़ी नाम मात्र की 2-3 कार्रवाई की गई थी। सवाल यह है कि पाताल से भी मुल्जिमों को खोज निकालने वाली पुलिस का मुखबिर तंत्र क्या इतना कमजोर हो चुका है कि उसे पता ही नहीं चल पा रहा कि नशा बिकता कहां है?
-: डॉक्टर बताते हैं इसे कातिल बनाने वाला नशा:- पीबीएम के नशा मुक्ति विभाग के विशेषज्ञ डॉ हरफूल सिंह के अनुसार एमडीएमए इंसान को पागल बना देने वाला खतरनाक नशा है। यह साइको स्टीमुलेंट है। इसे लेने के बाद कुछ समय के लिए दिमाग हवा में उड़ने लगता है। उत्तेजना बढ़ती है। अश्लीलता व मनोरंजन की ओर दिमाग प्रवृत्त होता है। न्यूरोट्रांसमीटर का स्त्राव लाख गुना तक बढ़ जाता है जो कि बड़ी मानसिक क्षति का कारण बन सकता है।
डॉ हरफूल के अनुसार यह नशा सेंट्रल न्यूरो सिस्टम पर खतरनाक असर डालता है। एमडीएमए लेने के 20 से 45 मिनट पर गंभीर नशा चढ़ता है। नशेड़ी को लगता है कि जीवन का आनंद यही है। मगर सच कुछ और होता है। नशेड़ी मानसिक विकलांग तक हो जाता है। धीरे धीरे उसकी उसकी निर्णय क्षमता व कार्य क्षमता खत्म हो जाती है। वह मतिभ्रम की स्थिति में आ जाता है। उसे ऐसा लगता है कि जैसे पूरा परिवार और समाज उसका दुश्मन है। उसे अलग अलग तरह का वहम होने लगता है। यहां तक कि वह हमलावर होकर किसी का कत्ल भी कर सकता है। उसे अलग अलग तरह की अनकही आवाजें सुनाई देने लगती है।
वहीं नींद की कभी, चिड़चिड़ापन, काम में मन ना लगना, उदास रहना, कब्ज, तनाव, भूख ना लगना, मांसपेशियां कमजोर होना, गुस्सा इसके प्राथमिक लक्षण हैं। डॉ हरफूल सिंह के अनुसार एमडीएमए का नशा दिल पर बेहद बुरा असर डालता है। इस नशे की वजह से अभी भी हार्ट अटैक आ सकता है। बीपी बढ़ जाता है। लंबे समय तक लेने से लीवर, किडनी आदि पर भी बुरा असर पड़ता है।
-इलाज संभव:- डॉ हरफूल के अनुसार एमडीएमए का नशा छुड़वाने के लिए चिकित्सकीय सलाह व दवा आवश्यक है। नशा छुड़वाने की दवा करीब 2-4 माह चलती है। ठीक होने पर नशे से हुए साइड इफेक्ट्स को ठीक करने के लिए दवाइयां दी जाती है। पीबीएम का नशा मुक्ति विभाग ऐसे मरीजों का मुफ्त इलाज करता है।
-एमडीएमए बना सकता है करोड़पति को रोड़ पति:- एमडीएमए इतना मंहगा नशा है कि आदम को कातिल और पागल बनाने अलावा कंगाल भी बना देता है। शहर में कुछ लोगों को तो इस नशे के लिए घर के पुराने बर्तन तक बेचने पड़े।
अगर कोई व्यक्ति एक दिन में न्यूनतम एक ग्राम एमडीएमए भी इस्तेमाल करता है तो वह दिन के न्यूनतम 3500 से 4500 रूपए बर्बाद कर देता है। यानी तीस दिन में करीब एक लाख रूपए से अधिक एमडीएमए के लिए उड़ा देता है। वहीं नशे की मात्रा बढ़ने के साथ साथ बर्बादी का समय भी नजदीक आने लगता है। बता दें कि नशे की चपेट में आए युवाओं के परिवार तनावपूर्ण जीवन जीने को मजबूर हैं। जिन घरों के युवा नशे की गिरफ्त में हैं उन घरों के आर्थिक हालात तो बदतर है ही, बल्कि मानसिक शांति भी भंग हो रखी है।
-: अगर पुलिस ब्याज माफियाओं, जुआरियों, सटोरियों पर ही नजर रखे तो एमडीएमए की बिक्री घटी सकती है। वहीं जयपुर रोड़ व बाईपास के होटलों, रिसोर्ट्स व फार्म हाउसों पर भी तलाशी अभियान चलाया जाए तो पुलिस को बड़ी सफलता मिल सकती है।
-आईजी ओमप्रकाश पासवान ने हाल ही में ऑपरेशन फ्लश आउट चलाया। मगर पुलिस थाने अपने आईजी के ऑपरेशन की लाज तक नहीं रख पा रहे। आईजी ओमप्रकाश अगर अपनी विशेष टीम बनाकर फील्ड में छोड़ दें तो नशे का बाजार ढह सकता है।
अब देखना यह है कि पुलिस खानापूर्ति में ही लगी रहती है या समाज की बर्बादी को रोकने के लिए नशे के खिलाफ ठोस कदम उठाती है।
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