25 May 2022 03:56 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। (पत्रकार रोशन बाफना की रिपोर्ट) बीकानेर में भूमाफियाओं के हौसले इतने बुलंद है कि ना तो घोटाले करने से पहले सोचते हैं और ना ही घोटाले करने के बाद कोई भय रहता है। एक पड़ताल में सामने आया है कि विभिन्न गैंग सरकारी व प्राइवेट जमीनों को फर्जी तरीके से बेचने का काम वर्षों से करते आ रहे हैं। कहीं यह काम आगोर के संरक्षण के नाम पर होता है तो कहीं सीधे तौर पर कब्जा कर जमीनें बेची जाती है। ऐसी भी कई जमीनें हैं जो इन भूमाफियाओं ने 8-10 बार तक बेच डाली। वहीं कई छुटकर भूमाफिया जमीन बेचते तो नहीं मगर कब्जा करने में महारथ रखते हैं।
कब्जों और फर्जीवाड़ों का यह खेल मोहता सराय क्षेत्र से शुरू होकर वाया करमीसर रोड़ विश्नोई बास, भाटों का बास व लाली माई पार्क की सीमा तक पहुंचता है। पड़ताल में एक ऐसा गैंग भी सामने आया है जिसने करमीसर रोड़ स्थित कुछ जमीनें कई बार बेची हुई है। कुछ समय पहले भी इस गैंग ने शहर के एक व्यक्ति को करीब 65 लाख रूपए में जमीन बेच दी। फर्जी रजिस्ट्री भी करवाई तो बाउंड्री आदि करवाकर कब्जा सौंपने के नाम पर भी पैसे ठगे। लंबे समय तक कब्जा ना मिलने पर खरीददार की आंखें खुली। पता लगा कि सौदा करवाने वाला दलाल व खुद को जमीन का मालिक बताकर फर्जी रजिस्ट्री करवाने वाला व्यक्ति एक ही गैंग के सदस्य हैं। ये लोग फर्जी पट्टे रखते हैं, एक व्यक्ति दलाल बन जाता है, दूसरा मालिक, इस तरह ये गैंग करोड़ों रूपए की ठगी कर चुका है। अब खरीददार पैसे के लिए सफेदपोश बने फिर रहे उस ठग के सामने मिन्नतें कर रहा है। इस ठग की कुंडली खंगाली गई तो रिकॉर्ड भारी घोटाले से भरा मिला।
जमीन घोटालों की यह कहानी यहीं नहीं थमती। मोहता परिवार की एक बड़ी जमीन भी इसी तरह के चक्रव्यूह में फंसी हुई है। इस जमीन पर अलग अलग तरह से कब्जे हो रखे हैं तो कुछ हिस्सों में तो अब आबादी भी बस चुकी है। बताते हैं कि भूमाफियाओं ने ये जमीनें वर्षों पहले सीधे सादे लोगों को फर्जी तरीके से बेच दी। कुछ मामले आगोर की भूमि के संरक्षण के भी सामने आए हैं। जबकि यह भूमि सरकारी रिकॉर्ड में अब भी मोहता परिवार के नाम से दर्ज बताई जा रही है। वहीं एक अन्य मामले में पता चला है कि एक भूमि को आगोर की भूमि बताकर पार्क बनाया गया है। सूत्रों का आरोप है कि फर्जी संस्था बनाकर आगोर के संरक्षण के नाम पर भूमाफियाओं ने बड़ा खेल रच रखा है। जबकि यह भूमि आगोर की है ही नहीं। बता दें कि सरकारी जमीनों पर कब्जों के मामले भी आए दिन सामने आते हैं। ये भूमाफिया ना तो सरकारी जमीनों को छोड़ते हैं और ना ही प्राइवेट जमीनों को बख्शते हैं। भूमाफियाओं से शहर के सैकड़ों लोग पीड़ित हैं। शाम, दाम, दंड, भेद से मजबूत इन भूमाफियाओं से लड़ना हर किसी के वश में नहीं है। दूसरी ओर कानूनी लड़ाई में भी वर्षों बीत जाने पर भी रिजल्ट नही आता। सिस्टम की खामियों और जनता के भय को हथियार बनाकर ये भूमाफिया वर्षों से भूमि घोटाले करते आ रहे हैं।
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