22 January 2025 07:39 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। सामाजिक व कानूनी नियमों के खिलाफ किए जाने वाला प्रेम अवैध होता है। ऐसे अवैध प्रेम का नतीजा भी खतरनाक ही होता है। बीकानेर की अदालत के एक फैसले ने एकबार फिर यह संदेश दिया है कि अवैध संबंधों व अपराध से दूर ही रहना चाहिए। जयनारायण व्यास कॉलोनी थाना क्षेत्र में पांच साल पहले हुए छिनुराम हत्याकांड को लेकर अपर सत्र न्यायाधीश संख्या 7 की पीठासीन अधिकारी रेणु सिंघला ने आज अपना फैसला सुना दिया है। अदालत ने आरोपी रिड़मलसर निवासी विक्रम पुत्र सदासुख को आजीवन कारावास व 60 हज़ार रूपए की सज़ा सुनाई है। वहीं मृतक की पत्नी राधा को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया है। जब विक्रम ने छिनुराम की हत्या की उस वक्त राधा मौके पर नहीं थी। हालांकि पुलिस ने विक्रम और राधा, दोनों को गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा के तहत जेल भिजवाया था। पुलिस ने दोनों के खिलाफ चालान भी पेश किया। बाद में दोनों को जमानत मिल गई और ट्रायल चलता रहा।
ये था पूरा मामला: 18 मई 2019 को विक्रम ने छिनुराम की हत्या कर दी। हत्या धारदार हथियार गुप्ती से की गई। मृतक के बड़े भाई जगाराम ने आरोपी के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया था।
बताया कि उसका छोटा भाई दाऊदसर, जामसर निवासी छिनुराम नैणों का बास, रिड़मलसर स्थित मोहम्मद सलीम सोढ़ा के खेत की चौकीदारी व देखभाल का कार्य करता था। वह यहां अपनी पत्नी राधा व बच्चों के साथ रहता था। राधा का पीहर रिड़मलसर में ही है।
कहा कि मृतक की पत्नी राधा का उसके पीहर के पास रहने वाले विक्रम से अवैध संबंध हैं। आरोपी छिनुराम की ढ़ाणी में आता जाता था। छिनुराम, उसके परिजनों व राधा के पिता ने दोनों को बार बार समझाया। विक्रम को राधा से दूर रहने को भी कहा। लेकिन दोनों नहीं माने व बीच में आने पर जान से मारने की धमकी दी। छिनुराम ने इस संबंध में समाज में भी पंचायती करवाई।
भाई ने बताया कि 18 मई को उसने छिनुराम को फोन किया तो फोन नहीं उठाया। वह उस वक्त बीकानेर था। छिनु के फोन नहीं उठाने पर जगाराम मगाराम के साथ रिड़मलसर स्थित खेत गया। मौके पर पहुंचे तो विक्रम सिंह भाग रहा था। उसके हाथ में धारदार हथियार था। छिनुराम को संभाला तो वह खून से लथपथ था। उसके गले, सिर व मुंह पर जगह जगह चोटें लगी हुई थी। तब दोनों ने विक्रम को पकड़ने के लिए उसका पीछा किया। वह भाग गया, वापिस छिनुराम को संभाला तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। राधा भी खेत से गायब थी।
बताया जा रहा है कि अभियोजन पक्ष ने अदालत में 14 गवाह पेश किए थे। अदालत के आदेशानुसार 60 हज़ार अर्थदंड की राशि मृतक के बच्चों को बतौर क्षतिपूर्ति दी जाएगी। आरोपी द्वारा अर्थदंड जमा ना करवाने की स्थिति में उसे डेढ़ साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। इसके अतिरिक्त पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत जिला विधिक प्राधिकरण से क्षतिपूर्ति राशि मृतक के बच्चों को दिए जाने की अनुशंसा भी की गई है। राज्य सरकार की ओर से मामले की पैरवी जगदीश सेवग ने की। उल्लेखनीय है कि मामले में अनुसंधान तत्कालीन थानाधिकारी गोविंद सिंह चारण ने किया था।
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