12 July 2021 03:56 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए चल रहे विरोध के बीच अब बीकानेर के तीन अधिवक्ताओं ने उच्चतम न्यायालय में जन हित याचिका दायर की है। याचिका में पेट्रोल डीजल सहित विभिन्न पेट्रोलियम पदार्थों से वैट हटाकर इनको जीएसटी के दायरे में लेने की अपील की गई है। परिवादी शब्दअली ने जरिये अधिवक्ता विनायक चितलांगी, मधु त्यागी व रवैल भारतीय ने यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की है।
बता दें कि सोमवार को बीकानेर में पेट्रोल करीब 110 रूपए पर बिक रहा है। इसी तरह डीजल में भी आग लगी हुई है। पेट्रोल डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का यह सिलसिला पिछले दो साल से लगातार जारी है। अधिवक्ता रवैल भारतीय ने बताया कि 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई। इन सात वर्षों में पेट्रोल डीजल की कीमतें लगातार बढ़ी हैं। दोनों की कीमतों में क्रमशः 45 और 71 प्रतिशत की वृद्धि की गई। पेट्रोल 71.41 से बढ़कर 109-10 रूपए और डीजल 57.28 से बढ़कर 101 रूपए तक पहुंच गया है।
अधिवक्ता विनायक चितलांगी ने बताया कि अगर इन पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाया गया तो इन पर अधिकतम स्लैब के हिसाब से 28 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। जो आधा केंद्र सरकार व आधा राज्य सरकार के खाते में जाएगा। जबकि वर्तमान में केंद्र व राज्य सरकार मिलकर 60 प्रतिशत कर वसूल कर रही है। यानी उपभोक्ताओं से वसूले जा रहे 100 रूपए में 60 रूपए टैक्स शामिल है। इसी 60 रूपए में से 35 रूपए केंद्र को मिलते हैं तथा 25 रूपए संबंधित राज्य को दिए जाते हैं। 35 रूपए प्रति लीटर टैक्स में से 42 फीसदी राज्यों को जाता है।
बताया जा रहा है कि अगर जीएसटी लगाया जाएगा तो सरकार को करीब 2 से ढ़ाई लाख करोड़ रूपए का नुक़सान होगा।
रवैल भारतीय ने बताया कि उच्चतम न्यायालय ने याचिका स्वीकार कर तारीख दी है। उन्होंने माननीय न्यायालय से अनुच्छेद 279-ए (5) के तहत प्रदान किए गए संवैधानिक आदेश का पालन करने हेतु जीएसटी परिषद को निर्देशित करने के लिए तत्काल आवश्यक कार्यवाही का आग्रह किया है। न्यायालय से मांग की गई है कि वह जीएसटी काउंसिल को पेट्रोलियम क्रूड, हाई स्पीड डीजल, मोटर स्पिरिट, प्राकृतिक गैस और विमानन टर्बाइन ईंधन को जीएसटी स्लैब में शामिल करने के निर्देश दें।
RELATED ARTICLES
14 October 2021 01:23 AM