13 May 2021 04:45 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। आपातकालीन स्थिति में जीवनरक्षक रेमडेसिविर की कालाबाजारी मामले में 6 बड़े दवा विक्रेताओं सहित कई डॉक्टर, अस्पताल संचालक व नर्सिंग पुलिस और एसओजी के चंगुल में फंसते ही चले जा रहे हैं। इनमें से कुछ के जुर्म भी प्रमाणित हो गए बताते हैं। बता दें कि इस वक्त बीकानेर में हुई रेमडेसिवर की कालाबाजारी को लेकर दो अलग अलग जांचें चल रही है। पहली जांच, एसओजी द्वारा की जा रही है। एसओजी ने ऊपरी सिरे से जांच शुरू की थी, जो अब नीचे की श्रृंखला से जुड़ती जा रही है। मई की शुरुआत में एसओजी ने सबसे पहले 6 मुख्य फार्मा स्टॉकिस्ट से स्टेटमेंट मांगे थे। इसके बाद ड्रग कंट्रोलर से भी स्टेटमेंट मांगा। यहीं से गड़बड़झाला पकड़ में आने लगा। बता दें कि मारवाड़ अस्पताल, श्रीराम अस्पताल, पीटी कृष्णा, डॉ अशोक गुप्ता, अजय गुप्ता, जे के पुरोहित, डॉ एमजी चौधरी, श्रेया जैन, अमित, गोपाल, डॉ विजय शांति बांठिया, दयाल शर्मा आदि एस ओ जी की रडार पर है। इन्होंने भी रेमडेसिवर खरीदे बताते हैं। सूत्रों की मानें तो ऊपर से नीचे तक जो भी दोषी पाए जाएंगे उन सभी को एसओजी जेल में चक्की पिसवाएगी। बताया जा रहा है कि मित्तल ड्रग एजेंसी, मित्तल फार्मा, जिंदल मेडिकोज, राजेंद्र मेडिकोज, तंवर मेडिकोज व गौरव एजेंसी ने इन सभी को रेमडेसिवर सप्लाई की।
वहीं दूसरी ओर सदर पुलिस की जांच नीचे से ऊपर की ओर चल रही है। सदर पुलिस ने हाल ही में चार युवकों को दबोचा था। इन्हें रेमडेसिवर की कालाबाजारी करते ट्रैप किया गया था। इन चारों की पहचान संदीप नायक, रमेश सिंह, महेंद्र विश्नोई व अनिल जाट के रूप में हुई थी। इनमें से अनिल की निशानदेही पर फोर्टीस अस्पताल के साहिल को गिरफ्तार किया था। जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर मोहर सिंह के अनुसार साहिल ने पुलिस को बयान दिया है कि वह अनिल जाट से रेमडेसिवर खरीदता था तथा आगे महेंद्र व संदीप को भी देता था। वहीं अनिल जाट ने वरदान अस्पताल के मालिक मालिक का नाम लिया है। मोहर सिंह ने बताया कि अनिल ने बयान दिया है कि वह अस्पताल मालिक से 14000 में इंजेक्शन खरीदता था, जिसे आगे 24 हजार रूपए में बेच दिया जाता। अभी तक 20-22 इंजेक्शन की कालाबाजारी सामने आई है। मोहर सिंह के अनुसार अस्पताल मालिक का जुर्म प्रमाणित पाया गया है, उसे शीघ्र ही गिरफ्तार किया जाएगा। हालांकि अस्पताल के अनुसार अनिल उनका रेग्यूलर स्टाफ नहीं है। पिछले कोविड सीजन में उसे कोविड अस्पताल के लिए लगाया था व हाल ही में कोविड अस्पताल शुरू होते ही उसे फिर से लगाया गया। जबकि पुलिस ने जांच के बाद जुर्म प्रमाणित मान लिया है।
इन दोनों जांचों में हो रही प्रगति से गड़बड़झाला करने वालों में खलबली मची हुई है। रेमडेसिवर की कालाबाजारी के इस अमानवीय खेल में जीवन रक्षा व फोर्टीस भी अभी तक सदर पुलिस के रडार पर है। वहीं एसओजी जांच के संदिग्ध फार्मासिस्टों, डॉक्टरों व अस्पतालों की भी नींदें उड़ी हुई है। सूत्रों की मानें तो जुर्म प्रमाणित पाया जाने पर ये सब भी नहीं बचेंगे। बता दें कि एस ओ जी जांच में सामने आए कई डॉक्टर तो सरकारी है।
रेमडेसिवर की कालाबाजारी के इस खेल में आमजन भी घोटालेबाजों को लेकर गुस्से में है। ऐसे में पुलिस व एसओजी भी आमजन की नज़रों में है।
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