19 May 2021 10:02 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। कोरोना ने ऐसा तांडव मचा रखा है कि आमजन का घरों से बाहर निकलना दूभर हो गया है। मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की सख्त पालना जरूरी है। पालना ना करने वालों पर पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है। लेकिन यह कार्रवाईयां केवल आमजन पर ही देखी जा रही है। पुलिस द्वारा किए जा रहे इस भेदभाव का एक मामला सामने आया है। इस मामले को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग ने आईजी बीकानेर व कलेक्टर को तीन सप्ताह के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।
जानकारी के अनुसार पूगल थाना क्षेत्र के अमरपुरा का सरपंच मुरलीधर मोदी कोरोना पॉजिटिव हो गया था। 4-5 मई को उसे पीबीएम से छुट्टी मिली। उसे होम आइसोलेशन में रहना था, मगर ऐसा नहीं हुआ। आरोप है कि गांव लौटने के एक दिन बाद 6 मई को सरपंच घर से बाहर निकल गया। वह श्मशान भूमि के पेड़ कटवाने चला गया। पेड़ की लकड़ियों का सौदा कर उन्हें तीन गाड़ों में भरवाकर भेजने लगा। गांव के कुछ लोगों ने विरोध किया। अस्पताल से लौटते ही खुलेआम बाहर घूमने का विरोध भी किया गया। पुलिस व वन विभाग भी मौके पर पहुंचा।
आरोप है कि सरपंच व उसके साथियों ने मदन सिंह के साथ मारपीट की। मदन सिंह ने मारपीट, होम आइसोलेशन के नियमों का उल्लघंन कर ग्रामीणों का जीवन संकट में डालने सहित पेड़ कटवाने के संबंध में पूगल पुलिस, एसडीएम व वन विभाग को परिवाद दिया। मगर सरपंच की राजनीतिक पहुंच के सामने परिवाद ना चला। दबाव में आई पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। 7 मई को बीकानेर एसपी व कलेक्टर को भी परिवाद दिया। एसपी तक मामला पहुंचने के बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं हुआ।
इसी मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग को अब तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करनी होगी।
बता दें कि परिवाद सरपंच मुरलीधर सहित उसके भाई घनश्याम, जयपाल मोदी, भतीजे राहुल मोदी, चाचा नंदलाल मोदी, महेंद्रदान चारण, रामचंद्र चारण, कोजू सिंह व 20-30 अन्य के खिलाफ दिया गया था। लेकिन पुलिस ने शिकायत करने वालों के खिलाफ ही मुकदमा दर्ज कर लिया।
उल्लेखनीय है कि कोरोना ने गांवों में भी कहर बरपा रखा है। ऐसे में इसी माह कोविड अस्पताल से छुट्टी मिलते सरपंच का बाहर निकलकर भीड़ इकट्ठी करना गंभीर मामला है। अब देखना यह है कि पुलिस सरपंच के खिलाफ कार्रवाई करती है या नहीं। हालांकि मारपीट के मामले में परिवादी ने कोर्ट में अपील कर दी है। ऐसे में 1-2 दिवस में भी कोर्ट इस्तगासे से पुलिस को यह मुकदमा दर्ज करना पड़ेगा।
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