03 March 2021 07:46 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। नोखा थाना क्षेत्र के चरकड़ा में हुए चंद्र कंवर हत्या कांड की गुत्थी सुलझ गई है। 18 दिनों बाद सुलझी इस गुत्थी ने बहु के रिश्ते को कलंकित कर दिया है। चंद्र कंवर की हत्या किसी बाहरी व्यक्ति ने नहीं बल्कि पुत्रवधु ने ही की थी। पुलिस के अनुसार सोची समझी रणनीति के तहत इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया। चंद्र कंवर अपने खेत में बनी ढ़ाणी में अकेले रहती थी। वहीं बड़ा बेटा एडवोकेट टीकमसिंह व किशोर सिंह उर्फ किशन सिंह अपनी पत्नी व बच्चों के साथ गांव में रहते थे। सामने आया है कि चंद्र कंवर व टीकमसिंह की पत्नी में बनती नहीं थी। वजह, चंद्रकंवर द्वारा पैसे अपने छोटे बेटे किशोर व बेटी को देना था। इस बात से टीकमसिंह की पत्नी संतोष में सास के प्रति असंतोष बढ़ता गया। वहीं दूसरी तरफ टीकमसिंह अपनी मां पर बहुत अधिक ध्यान देता था, जिससे संतोष का गुस्सा बढ़ता गया। 12 फरवरी को जब टीकमसिंह अपने बेटे के साथ बाहर गया हुआ था, तब संतोष ने प्लान बनाया व अपनी नाबालिग बेटी को लेकर ढ़ाणी पहुंच गई व बेरहमी से चंद्रकंवर के सर पर रॉड से वार किया।
पुलिस के अनुसार किशोर सिंह ट्रक ड्राइवर है तथा आर्थिक रूप से कमजोर है। इस वजह से चंद्रकंवर पेंशन व अन्य साधनों से अर्जित मासिक आय का कुछ हिस्सा अपने छोटे बेटे व बेटी को देती थी। गिरफ्तारी से ठीक पहले संतोष कंवर बीकानेर एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती हो गई है। जिसे पुलिस गार्ड की निगरानी में रखा गया है। अस्पताल से छुट्टी मिलते ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा। पुलिस के अनुसार वह गिरफ्तारी से बचने के लिए अस्पताल में भर्ती हुई है। हालांकि पुलिस सूत्र संतोष के पेट में किसी गांठ का जिक्र भी करते हैं। अन्य पुलिस सूत्रों के अनुसार वह वाकई बीमार भी है।
संतोष कंवर की गिरफ्तारी के बाद और भी कई राज खुल सकेंगे। वहीं 14 वर्षीय नाबालिग बेटी हत्या में शामिल थी या संतोष कंवर साथ ले गई थी इसलिए वह साथ गई थी, इसका खुलासा भी होना बाकी है।
उल्लेखनीय है कि 13 फरवरी की दोपहर शव मिलने के बाद आरपीएस प्रेम कुमार, थानाधिकारी अरविंद सिंह शेखावत सहित पुलिस टीमें, एफ एस एल टीमें, डॉग स्क्वायड सहित विभिन्न तकनीकी टीमें मौके पर पहुंची। टीमों ने करीब चार किलोमीटर तक मुआयना किया, मगर कुछ हाथ नहीं लगा। रेतीले क्षेत्र में ना कोई गवाह मिला और ना कोई अन्य सबूत। सीसीटीवी भी दूर दूर तक उपलब्ध नहीं था। आईजी प्रफुल्ल कुमार के निर्देशानुसार एसपी प्रीति चंद्रा ने इस ब्लाइंड मर्डर केस को चैलेंज मानते हुए टीमें गठित की। एएसपी ग्रामीण सुनील को नोखा में ही कैंप लगाने के निर्देश दिए गए। एएसपी सुनील कुमार के निर्देशन में सीओ नेमसिंह चौहान, आरपीएस प्रेम कुमार व थानाधिकारी अरविंद सिंह शेखावत के नेतृत्व में एएसआई सौभाग्य सिंह, एएसआई श्रवण सिंह, हैड कांस्टेबल बलवान सिंह, जयप्रकाश, कानि हेमसिंह, जेठूसिंह, श्रवण राम, डीआर प्रेमाराम व साईबर सैल हैड कांस्टेबल दीपक कुमार यादव व कानि दिलीप सिंह मय टीम गठित की गई। टीमों ने करीब सौ से अधिक लोगों से पूछताछ की। पुलिस के अनुसार घटनास्थल से चार किलोमीटर दूर गांव दावा की सड़क पर एक लावारिस मोटरसाइकिल मिली थी। इसमें चार लीटर पेट्रोल था। इसके पास सीलवा में निर्माण कार्य चल रहा है। पुलिस ने यहां के 112 मजदूरों से पूछताछ की। तकनीकी टीम, सादी वर्दी में निगरानी टीम व पारिवारिक स्थिति के अध्ययन के लिए अलग अलग टीमों ने काम किया। लेकिन जब पारिवारिक स्थिति के अध्ययन में संतोष कंवर का अपनी सास से असंतोष सामने आया तो पुलिस का शक यकीन में बदलता गया। पुलिस के अनुसार संतोष घर से ढ़ाणी तक पैदल ही गई तथा पैदल ही लौटी। इसके बाद उसने हत्या में काम ली गई लोहे की मुसली भी ठिकाने लगा दी।
पुलिस अब संतोष के अस्पताल से डिस्चार्ज होने के इंतज़ार में हैं। बता दें कि चंद्रकंवर की हत्या के मुकदमें में परिवादी संतोष कंवर का पति यानी मृतका का बड़ा बेटा एडवोकेट टीकमसिंह ही परिवादी है। हालांकि पुलिस के अनुसार अब तक की जांच में उसकी कहीं भी मिलीभगत सामने नहीं आई है।
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