08 February 2021 12:17 AM
-एडवोकेट पूर्णिमा नाहर, राजस्थान हाईकोर्ट
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। सोशल मीडिया अथवा तकनीक का दुरूपयोग कर महिलाओं की इज्जत उछालने से लेकर उन्हें ब्लैकमेल करने जैसे अपराध बढ़ रहे हैं। आप इस तरह के अपराध करने वाले बदमाशों से कैसे स्वयं को सुरक्षित कर सकते हैं, क्या हो रहा है, नियम व कानून क्या है, क्या समाधान है व किन सुधारों की आवश्यकता है, इस पर अपनी बात रख रहीं हैं जोधपुर हाईकोर्ट की अधिवक्ता पूर्णिमा नाहर:
--देश में महिलाओं की गिरती दशा पर साइबर सोसाइटी बड़ा नकारात्मक रोल अदा कर रही है। जहाँ फिजिकल सोसाइटी महिलाओं पर शारीरिक दुराचार-अत्याचार कर स्वच्छ जीवन जीना दुष्कर कर रही है, वहीं साइबर सोसाइटी समाज की मनोदशा पर गहरा प्रभाव डालकर महिलाओं को पूर्णतः खुशनुमा माहौल में जीवन जीने से रोक रही है। इन्हें "साइबर क्राइम" का नाम दिया जाता है। इन अपराधों का जन्म 90 के दशक में आये कम्प्यूटर के साथ हुआ जिसे लैपटॉप, मोबाइल, टेबलेट और डिजिटल इंडिया के सपने ने दिन प्रतिदिन बढ़ा दिया। देश का इस ओर विकास हुआ तो अपराध भी बढ़ने लगे। देश में भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता, साक्ष्य अधिनियम के साथ साथ इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट- 2000 भी उतना ही महत्वपूर्ण लगने लगा, तो समय के साथ 2008 में संशोधन हो गया। 2020 में नए रूल्स एंड रेगुलेशन आ गए जिसके प्रचार प्रसार की कमी उसके उपयोग में कमी को दर्शा रही है। लेकिन अफसोस की बात ये है कि इस कानून में महिलाओं को कोई विशिष्ट स्थान नहीं दिया गया।
आज देश की अधिकतर जनता फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, व्हाट्सएप्प, यूट्यूब, लिंक्ड-इन, ई- मेल इत्यादि के जरिये न केवल देशवासियों से बल्कि सम्पूर्ण विश्व से एक रिश्ता बना रही है। देश के कानून के साथ वैश्विक कानून से भी टक्कर ले रही है। इस पर साइबर सोसाइटी के जरिये
1)महिलाओं के अंग प्रदर्शन की तस्वीरें, वीडियो को खुले आम पोर्न वीडियो के नाम से बिना सेंसर बोर्ड की पूर्व आज्ञा के दर्शा रहे हैं।
2) महिलाओं की fake id बना अन्य पुरुषों से अश्लील बातें की जा रही है।
3) महिलाओं के contact number लेकर कॉल सेन्टर की महिला बताकर मैसेज द्वारा झूठा प्रचार प्रसार किया जाता है।
4) महिलाओं के साइबर सोसाइटी एकाउंट को हैक कर उनकी तरफ से अन्य लोगों की साइबर बुल्लिंग की जाती है।
5) महिलाओं के साइबर सोसाइटी एकाउंट को हैक कर उनकी तस्वीरों पर भद्दे कमेंट किये जाते हैं।
6) महिलाओं के साथ साइबर ग्रूमिंग की जाती है जिसमें महिलाओं से निकटतम संबंध बनाकर उन्हें ब्लैकमेल कर शारिरिक संबंध बनाने को मजबूर किया जाता है।
7) महिलाओं के साइबर सोसाइटी से उनके पर्सनल नंबर पता करके उनके मोबाइल और कंप्यूटर हैक किये जाते है, जिससे सारे पर्सनल डाटा और पर्सनल तस्वीरों को चुराया जाता है फिर उसका दुरुपयोग किया जाता है।
8) साइबर सोसाइटी से महिलाओं की व्यक्तिगत जानकारी इकट्ठा कर उनसे उनकी पहचान छीन कर किसी अन्य महिला को दी जाती है जो आदतन अपराधी भी हो सकती है।
9) साइबर सोसाइटी से महिलाओं की व्यक्तिगत जान पहचान का फायदा उठाकर ठगी का कारोबार भी चलाया जाता है।
10) साइबर सोसाइटी से महिलाओं के मोबाइल नंबर की जानकारी प्राप्त कर बैंक एकाउंट भी खाली कर दिए जाते हैं। जिनकी खबर उन्हें भी घटना होने के काफी दिनों बाद लगती है।
11)महिलाओं को समाज के जालसाज़ों द्वारा झूठे ई मेल के जरिए डराया धमकाया जाता है।
12) महिलाओं की छवि खराब करने के लिए व्हाट्सएप्प ग्रुप भी जोरों से चलाए जाते हैं।
13) महिलाओं की उम्र, बच्चे की जरूरत, पति की जरूरत, सैक्स की जरूरत इत्यादि के ऑनलाइन पोस्टर बनाकर उनके मोबाइल नंबरों के साथ फैलाये जाते हैं।
14) महिलाओं की तस्वीरें लगाकर फेसबुक पेज बनाये जाते हैं। आपकी चुलबुली नेहा, सैक्सी पूजा, फ्रेंड्स फॉरएवर इत्यादि पुरुषों को प्रभावित करने वाले और फेसबुक से रुपये कमाने वाले पेज बनाये जाते हैं।
15) यूट्यूब पर भाभी का देवर, सैक्सी भाभी, अच्छे सैक्स रिलेशनशिप इत्यादि नामक वीडियो अश्लील चित्रावली के साथ परोसें जाते हैं।
16) स्पाई कैमरा के जरिये शॉपिंग मॉल के चैंजिंग रूम, लेडीज टॉयलेट, गर्ल्स हॉस्टल, हनीमून स्वीट, होटल के अन्य कमरे, घर के अलमीरा का काँच, ड्रेसिंग रूम के काँच, ब्यूटी पार्लर इत्यादि में महिलाओं के वस्त्र परिवर्तन करने, नंगा नहाने, अपने पति या अन्य पुरुष के साथ शारीरिक संबंध, बॉडी मसाज इत्यादि के दृश्यों को वाई फाई इंटरनेट कनेक्शन के जरिये इकट्ठा कर पोर्न वीडियो बनाये जाते है जिनका प्रचार प्रसार देश- विदेश में अरबों कमाने के लिए किया जाता है।
17) स्पाई कैमरा और उसके साथ ट्रांसमीटर के जरिये महिलाओं की हर हरकत पर नज़र रखी जाती है, उनका पीछा किया जाता है, फिर अपराध कायम किया जाता है, इत्यादि इत्यादि।
इन अपराधों की श्रृंखला इतनी बढ़ रही है जिसे बताने के लिए समाज के हर एक मंजर पर दृष्टिपात करना होगा। शब्दों की गरिमा इनका खुलासा उस ख़ौफ़नाफ़ कृत्य को नहीं दर्शा सकती जिसे हम रोज देखते है।
लेकिन धीरे धीरे सरकार और आई टी कंपनियों ने इनकी सुरक्षा के भी कदम उठाए है। जिसका जितना अधिक उपयोग होगा उतना ही महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध कम हो सकेंगे। वो इस प्रकार है-
1) फेसबुक पर प्रत्येक अश्लील चित्रावली, अश्लील पोस्ट पर रिपोर्ट का ऑप्शन जरूर दबाए ताकि उस हरकत की फेसबुक को रिपोर्ट हो सके और उसे अन्य लोग नहीं देख पाएंगे साथ ही उस पर जरूरत पड़ने पर कानूनी कदम भी उठाया जा सकता है।
2) किसी भी प्रकार के ऑनलाइन अपराध जिसमें cyber leg pulling, cyber grooming, cyber bulling, अश्लील चित्रों का प्रकाशन या प्रचार प्रसार, साइबर ठगी का पता लगने पर तुरंत निकटतम साइबर सेल या पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवायें। इसके लिए आपका व्यक्तिगत मुद्दा होना भी जरूरी नहीं है, प्रचार प्रसार भी अपराधों की श्रेणी में शामिल है।
3) सरकार ने नेशनल साइबर क्राइम अथॉरिटी के जरिये सरकारी साइट cybercrime.gov.in का निर्माण किया है जिस पर सभी प्रकार के साइबर क्राइम की शिकायत कर सकते है। जिस पर 24 घंटे में पुलिस आपके पास आकर f.i.r. दर्ज कर सकती है और तुरन्त जाँच व अन्वेषण भी शुरू कर सकती है।
4) टीवी और मीडिया पर किये जाने वाले प्रचार प्रसार पर ध्यान देवें जिसमें हर रोज जागरूकता फैलाने वाले विज्ञापन और मैसेज बताये जाते हैं जैसे ओटीपी इत्यादि ना शेयर करें ताकि स्वसुरक्षा का प्रबंध कर सके। अपने ATM कार्ड को शेयर ना करें। अपने मोबाइल लॉक करने के पासवर्ड शेयर न करें।
5) महिलाओं की छवि खराब करने वाली पोस्ट/ कृत्य पर मानहानि का दावा कर अच्छी खासी मोटी रकम अपराधी से उठाए या फिर अपराधी को कैद करवाये।
6) यदि कोई कार्यवाही पुलिस स्टेशन में नहीं हो रही है तो इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धाराओं व crpc के अनुसार सीधे कोर्ट के जरिये परिवाद दायर कर सकते है।
इन सबके बावजूद विकास के क्रम में बढ़ती टेक्नोलॉजी और टेक्निकल अपराध के लिए सरकार को और काम करने होंगे। प्रत्येक पुलिस स्टेशन में साइबर सेल का एक ब्लॉक तैयार करवाना होगा जिसकी कमी बहुतायत में देखी जा रही है। प्रत्येक न्यायालय में साइबर कोर्ट की अलग विंग तैयार करवानी होगी जैसे फैमिली कोर्ट, एन. आई. कोर्ट, sc st कोर्ट बनाये गए हैं ताकि साइबर लॉ का क्रियान्वयन त्वरित हो सके। क्योंकि साइबर क्राइम फ़ास्ट है, वैश्विक है तो साइबर लॉ भी वैश्वीकरण के त्वरित दायरे में समाहित होना चाहिए। ताकि महिलाएँ स्वच्छ छवि, स्वस्थ मस्तिष्क और स्वच्छ समाज में गरिमामय जीवन जी सके और कार्यस्थल पर गरिमामय कार्य कर देश की उन्नति में सहयोग दे सके।
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