29 July 2022 10:06 AM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। (रोशन बाफना की रिपोर्ट) शहर में बालश्रम रोकथाम के नाम पर खानापूर्ति का खेल खुल्लमखुल्ला जारी है। जबकि शहर भर में बाल श्रम के सैकड़ों मामले मिल जाएंगे। कई मिष्ठान भंडारों, रेस्टोरेंट्स, ढ़ाबों, होटलों, चाय के होटलों, फास्ट फूड की रेहड़ियों पर जमकर बालश्रम करवाया जा रहा है। तो वहीं फैक्ट्रियों में बड़ी संख्या में बाल मजदूर मिल जाएंगे। यहां तक कि स्टेशन रोड़ सहित विभिन्न बड़े प्रतिष्ठानों के आगे छोटे छोटे बच्चे भीख मांगते भी दिख जाते हैं। हालात यह है कि जिम्मेदार एजेंसीज बाल श्रम की रोकथाम करने से किनारा किए हुए बैठी रहती है। बाल अधिकारिता, श्रम विभाग व मानव तस्करी प्रकोष्ठ सहित समस्त एजेंसीज अपनी जिम्मेदारी निभाने से दूर भागती हैं। शहर का निरीक्षण करने पर बाल श्रम की तस्वीरें स्पष्ट हो जाएगी।
हाल ही में प्रशासन द्वारा बाल श्रम रोकने हेतु अभियान चलाया गया है। आज भी बालश्रम उन्मूलन टीम ने निरीक्षण किया बताते हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि निरीक्षण में मात्र दो बालिकाएं ही भीख मांगती दिखीं। जिन्हें समझाइश के बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत कर बालिका गृह में अस्थाई प्रवेश दिलवाया गया।बाल अधिकारिता की निदेशक कविता स्वामी ने बताया कि तीन टीमों ने राजकीय सम्प्रेक्षण एवं किशोर गृह से हल्दीराम प्याऊ तक स्थित होटलों का निरीक्षण किया है। निरीक्षण टीम में किशोर न्याय बोर्ड सदस्य अरविंद सिंह सेंगर, सीआई सुमन जयपाल, मानव तस्करी प्रकोष्ठ के दिलीप सिंह, नरेंद्र सिंह, श्रम विभाग के मनोज एवं जुगल किशोर तथा रेल्वे चाईल्ड लाइन की सरिता राठोड़ शामिल थीं। बताया जा रहा कि निरीक्षण के दौरान 11 संस्थानों को बालश्रम नहीं करवाए जाने का वचन पत्र भरवाया गया। संस्थानों में कार्मिकों के आयु संबंधी दस्तावेजों का निरीक्षण किया गया, मगर कोई बाल श्रमिक नहीं मिला।
उल्लेखनीय है कि बीकानेर में बालश्रम रोकने का काम भी सीजनेबल है। जब सीजन आता है तब खानापूर्ति हेतु कुछ कार्रवाईयां कर दी जाती है। बाकी साल भर कोई विशेष कार्य नहीं होता। सवाल यह है कि जब शहर भर में बाल श्रम खुल्लमखुल्ला करवाया जा रहा है तो सीजनेबल एक्शन से क्या होगा ?
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