11 October 2025 11:45 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। मध्यावधि अवकाश यानी दीपावली पर होने वाली छुट्टियां हजम करने वाली स्कूलों पर शिक्षा विभाग सख्त हो गया है। जिला शिक्षा अधिकारी, मुख्यालय, माध्यमिक शिक्षा, बीकानेर ने एक आदेश जारी कर बीकानेर के समस्त गैर सरकारी स्कूलों को मध्यावधि अवकाश शिविरा पंचांग के अनुसार करने हेतु पाबंद करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, शिविरा पंचांग के अनुसार 13 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक मध्यावधि अवकाश घोषित है। बीकानेर की कुछ स्कूलों ने तो इस पंचांग की पालना करते हुए स्कूलों में छुट्टी कर दी है। ये स्कूल 11 अक्टूबर तक ही लगे। 12 अक्टूबर को रविवार की छुट्टी है और 13 अक्टूबर से 24 अक्टूबर तक मध्यावधि अवकाश है। लेकिन बहुत सारे स्कूल ऐसे भी हैं जो शिविरा पंचांग के अनुसार नहीं चल रहे हैं। उन्हें ना नियमों का अनुशासन है और ना ही प्रशासन का डर है। सवाल यह है कि बच्चों को अनुशासन की शिक्षा देने वाले स्कूल ही आख़िर अनुशासन कैसे भूल सकते हैं।
-मध्यावधि अवकाश विद्यार्थियों व शैक्षणिक कर्मचारियों का हक: मध्यावधि अवकाश यानी दीपावली की छुट्टियां सभी विद्यार्थियों व शैक्षणिक कर्मचारियों का हक है। ख़ासतौर पर महिला कर्मचारियों को इन छुट्टियों की बेहद आवश्यकता होती है। आख़िर उन्हें भी दीपावली के अवसर पर गृह प्रबंधन के तहत घर की सफाईयां करनी होती है। पुरानी अनुपयोगी चीज़ें बेचनी होती है, उनका उचित निस्तारण करना होता है। नयी वस्तुओं की खरीददारी करनी होती है। कपड़े आदि भी खरीदने होते हैं। पकवान बनाने होते हैं। अगर छुट्टियां दीपावली से 2-3 दिन पहले होगी तो कैसे वो उत्सव मना पाएंगे। आख़िर जीने का हक तो सभी को है।
एक तरह से तानाशाही करने वाले ये स्कूल मानवीय संवेदनाओं के साथ खेल रहे हैं। इस सृष्टि में हर कार्य और उत्सव का अपना प्रबंधन है, अपना अनुशासन हैं। सरकार ने ऐसे ही तो मध्यावधि अवकाश घोषित नहीं किए होंगे। अगर विद्या के मंदिर ही इस तरह से मानवीय संवेदनाओं के साथ खेलने लगेंगे तो समाज कितना अनुशासन सीख पाएगा।
-जिला शिक्षा अधिकारी की दो टूक: जिला शिक्षा अधिकारी ने दो टूक आदेश देते हुए कहा है कि जो स्कूल मध्यावधि अवकाश हजम करेंगे, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को भी ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई हेतु लिखने को कहा गया है।
अब देखना यह है कि इस मामले में स्कूलों की तानाशाही चलती है या नियम और कानून। उल्लेखनीय है कि स्कूलों की इस तानाशाही को लेकर शिक्षा विभाग सहित राज्य सरकार तक शिकायतें पहुंच रही है।
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