25 May 2021 04:44 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। दो दिनों से चल रहे गजनेर रोड़ के मजार निर्माण विवाद का अब तक का नतीजा यह है कि दोनों पक्षों पर कुल मिलाकर तीन मुकदमें दर्ज हो चुके हैं, चौथे की तैयारी है। पुलिस व प्रशासन सवालों के घेरे में फंस चुका है। कोर्ट के आदेशों की अवहेलना किए जाने की बात भी सामने आई है। हिंदू जागरण मंच व बजरंग दल ने पुलिस महानिदेशक, मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिए हैं। अब न्याय का इंतजार है, ताकि शांति स्थापित हो।
मामले में कलेक्टर नमित मेहता ने भी संज्ञान लिया है। विरोधी पक्ष को सुन लिया गया है, वहीं मजार में निर्माण करवाने वाले पक्ष की सुनवाई बाकी है। कोर्ट के कुर्की आदेश की अवहेलना की बात भी कलेक्टर मेहता के संज्ञान में आ चुकी है। विरोधी पक्ष का आरोप है कि पुलिस व एसडीएम की उपस्थिति में निर्माण हुआ।
समझें पूरा मामला-
हिंदू जागरण मंच के जेठानंद व्यास के अनुसार 1997 में उक्त भूमि पर मजार बनाई गई। जिस पर विवाद गहराया तो दीवारें हटा दी गई। मजार कायम रही। इसके कुछ सालों बाद इसी भूमि पर होलिका दहन हुआ, तो एक पक्ष ने विरोध किया। तर्क दिया कि होलिका दहन से मजार गर्म होती है।
2002 में फिर विवाद हुआ। मामला फिर गर्माया। दोनों पक्षों में बातचीत हुई तो विरोधी पक्ष ने सौहार्द कायम रखने के लिए मजार पर छपरा बनाने की सहमति दे दी। लेकिन विवाद नहीं थमा, मामला कोर्ट तक पहुंचा। एक पक्ष ने तर्क दिया कि उक्त भूमि कब्रिस्तान की है। लंबे समय तक कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 2016 में नतीजा सुनाया। कोर्ट ने कहा कि जिस भूमि को एक पक्ष कब्रिस्तान बता रहा है वह भूमि नगर निगम की है, तथा दूसरा टुकड़ा यूआईटी में आता है। कोर्ट ने 145 के तहत दोनों टुकड़ों को कुर्क करने का आदेश दिया। सदर पुलिस थानाधिकारी को रिसीवर नियुक्त किया गया। पुलिस ने नगर निगम वाली भूमि को कब्जे में ले लिया। वहां आज भी पुलिस तैनात रहती है। मगर यूआईटी की भूमि को आज तक कुर्क नहीं किया गया।
दुर्गा सिंह शेखावत ने कहा कि 22 मई से ही पुनः विवाद गहराने लगा। आरोप है कि मजार के पक्षधरों ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की। पुलिस व प्रशासन की देखरेख में निर्माण हुआ। कमरे व मजार की दीवारों को एक करने के लिए निर्माण हुआ।
जेठानंद व्यास का कहना है कि पहले अवैध रूप से दीवार बनाई गई। बाद में विरोध के बावजूद पर्दे व गाड़ियों की आड़ लेकर पलस्तर भी करवाया गया। हालांकि विरोध के बाद कुछ ईंटें हटाकर लोहे की रैलिंग लगाई गई।
अब सवाल यह है कि कोर्ट आदेश के बाद इतने सालों तक यह भूमि कुर्क क्यों नहीं की गई? निर्माण कार्य क्यों करवाया गया?
ये है मांगें---
हिंदू जागरण मंच व बजरंग दल ने मामले में कई मांगें कलेक्टर के समक्ष रखी है।
जेठानंद व्यास ने मांग की है कि दो दिनों में हुए समस्त निर्माण को हटाकर यथास्थिति की जाए। व्यास ने कहा कि आम आदमी एक सीढ़ी भी अवैध बना ले तो प्रशासन उसे तोड़ देता है। ऐसे में कोर्ट आदेशों की अवहेलना कर किए इस निर्माण को ध्वस्त क्यों नहीं किया जा सकता।
दुर्गा सिंह शेखावत ने पूरे मामले की जांच कर दोषी पुलिसकर्मियों व प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। शेखावत ने कहा कि अगर पुलिस व प्रशासन अपनी ड्यूटी सही करते तो कोरोना काल में विरोध करने के लिए सड़कों पर नहीं उतरना पड़ता। सामाजिक सौहार्द भी बना रहता।
बता दें कि मजार पर निर्माण से जुड़े परिवर्तन के वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए। ऐसे में कहीं ना कहीं पुलिस सवालों के घेरे में खड़ी हो गई। अब देखना यह है कि कोर्ट के आदेशों की पालना करवाने हेतु प्रशासन क्या कदम उठाता है।
ये रहे विरोध में शामिल-
हिंदू जागरण मंच संयोजक जेठानंद व्यास, बजरंग दल विभाग संयोजक दुर्गा सिंह शेखावत, भाजपा के भगवान सिंह मेड़तिया, करणी सेना के कर्णपाल सिंह सिसोदिया, विहिप महानगर अध्यक्ष अनिल शर्मा, मीडिया प्रमुख के लाल आचार्य, बजरंग दल महानगर संयोजक सूरज पुरोहित, सह संयोजक विक्रम रावत, योगेश जांगिड़, संजय स्वामी, सुनील जागा, सुरेंद्र सिंह भाटी, प्रेम गहलोत, मनीष पंवार, शिखर चंद डागा, गज्जू सुथार, महेश शुक्ला, विजय स्वामी, विरेन्द्र राजगुरु, आदित्य सिंह, हेमंत सुथार, कर्णपाल सिंह, धर्मेंद्र सारस्वत सहित सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।
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