30 December 2020 07:24 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। अपराधियों में भय-आमजन में विश्वास का राजस्थान पुलिस का नारा पूगल पुलिस की बदौलत अब केवल पोस्टर की शोभा बढ़ाएगा। पूगल पुलिस के व्यवहार से एक 75 वर्षीय वृद्धा का पुलिस पर से भरोसा उठ गया है और इसी के साथ राजस्थान पुलिस के स्लोगन की सच्चाई भी सामने आ गई है। एस के फाइनेंस नाम की कंपनी ने पीड़िता से साढ़े तीन लाख की ठगी कर ली। जिसकी शिकायत लेकर पीड़िता करीब दो माह पूर्व थाने पहुंची। लेकिन पुलिस ने बूढ़ी मां की उम्र का भी लिहाज नहीं किया। इस वृद्धा के कोई संतान नहीं है, हाल ही में पति की भी मृत्यु हो गई। ऐसी स्थिति में पुलिस को इस वृद्धा के प्रति अधिक संवेदनशील होना था, लेकिन इसके उल्टे दो माह से चक्कर कटवाने वाली पुलिस कंपनी के पक्ष में खड़ी है।
18 दिसंबर को थक-हारकर वृद्धा ने एडवोकेट अनिल सोनी से संपर्क साधा। सोनी ने फिर परिवाद दिया, इसके बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। जब सोनी ने थानाधिकारी महेश शीला से इस बारे में बात की तो उन्होंने साल समाप्ति का हवाला देते हुए 2 दिसंबर तक रुकने की बात कही। लेकिन 2 जनवरी आने से पहले ही आज दो पुलिसकर्मियों के साथ कंपनी कर्मचारी वृद्धा के पास पहुंच गया। वृद्धा के अनुसार पुलिस कंपनी से मिली हुई है। वे आज उससे एक कागज में हस्ताक्षर करवाने आए थे। इस पर वृद्धा ने अधिवक्ता की अनुपस्थिति में किसी भी प्रकार के हस्ताक्षर करने से साफ इन्कार कर दिया।
अधिवक्ता अनिल सोनी का कहना है कि पुलिस का इस तरह से एक अकेली वृद्धा से हस्ताक्षर करवाने का प्रयास शर्मनाक है। आरोप है कि पुलिस न्याय दिलाने की बजाय कंपनी अधिकारियों से मिलीभगत कर बैठी है। अगर ऐसा नहीं होता तो अब तक कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होकर कार्रवाई हो जानी चाहिए थी। पुलिस उल्टा कंपनी कर्मचारियों को लेकर वृद्धा के घर पहुंच रही है।
ये था पूरा मामला-
पूगल निवासी 75 आनंदी देवी खत्री ने आरोप लगाया था कि एस के फिनकॉर्प लिमिटेड फाइनेंस कंपनी ने उसके साथ धोखाधड़ी की है। दरअसल, आनंदी देवी के पति स्वर्गीय शिवरतन खत्री ने फरवरी 2019 में महिंद्रा एंड महिंद्रा का चौपहिया वाहन खरीदा था। 6 लाख 95 हजार कीमत के इस वाहन को एस के फाइनेंस कंपनी से फाइनेंस करवाया गया। कंपनी ने 27094 रूपए की 30 किश्तें बनाई। शिवरतन ने निर्धारित लगातार किश्तें भरी तथा किश्तों के अतिरिक्त राशि भी जमा करवाता रहा। इस तरह मई 2020 तक 18 बार में सारा भुगतान कर दिया गया। इसके बाद अगस्त में शिवरतन की मृत्यु हो गई। शिवरतन के के संतान नहीं है। ऐसे में पीछे उनकी पत्नी आनंदी देवी अकेली रह गईं। अब गाड़ी को कोई संभालने वाला नहीं रहा। ऐसे में वृद्धा ने गाड़ी बेचने का मन बना लिया और कंपनी से गाड़ी की एन ओ सी लेने गई। एन ओ सी लेने गई वृद्धा को कंपनी ने बड़ा झटका देते हुए चार लाख रूपए ऋण बकाया बताया। कंपनी के अनुसार उन्हें अभी तक केवल 412000 रूपए ही प्राप्त हुए। जिस पर वृद्धा ने अठारह रसीदें दिखा दी, जिनके अनुसार भुगतान शत प्रतिशत हो चुका है। अब कंपनी बहानेबाजी पर उतर आई है। वृद्धा के अनुसार कंपनी ने चक्कर कटवाने के बाद अब कहा है कि कैशियर ने पूरे पैसे जमा नहीं करवाए। जबकि सभी अठारह रसीदें प्रिंटेड है तथा कंपनी की मुहर भी लगी है।
वृद्धा के अधिवक्ता अनिल सोनी ने बताया कि एक 75 वर्षीय वृद्धा के साथ इस तरह का फ्रॉड बेहद गंभीर है। पीड़ित पक्ष ने पैसे कंपनी के कैश काउंटर पर जमा करवाए। ऐसे में कंपनी की जिम्मेदारी बनती है। सोनी ने कहा कि उनके पक्षकार के पास सभी रसीदें उपलब्ध है।
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