13 September 2020 02:34 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। बीकानेर रसद विभाग की लापरवाही का अजीबोगरीब मामला सामने आया है। इस लापरवाही की वजह से एक गरीब परिवार की नींद उड़ गई है। दरअसल, कार्यालय जिला रसद अधिकारी बीकानेर ने गंगाशहर निवासी इंद्र चंद पुत्र चौगट मल दूगड़ को एक नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में लिखा है कि 'खाद्य सुरक्षा योजना सर्वे में पाया गया है कि आपके परिवार में सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद आपके राशन कार्ड संख्या 200001061881 पर खाद्य सुरक्षा योजनान्तर्गत उचित मूल्य की दुकान से गेहूं लिया गया है। यह कृत्य खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 का स्पष्ट उल्लंघन है अत: आप इस नोटिस प्राप्ति के 7 दिवस के भीतर कार्यालय जिला रसद अधिकारी, बीकानेर में उपस्थित होकर 27 रूपए प्रति किलो ग्राम से राशि जमा करावें अन्यथा आपके विरुद्ध नियमानुसार विधिक कार्यवाही अमल में लाई जाएगी जिसकी समस्त जिम्मेदारी आप स्वयं की होगी। जिला रसद कार्यालय बीकानेर में उपस्थिति के समय कर्मचारी की सेवा में नियुक्ति दिनांक का प्रमाण पत्र आवश्यक रूप से सात लावें।'
जबकि वास्तविकता यह है कि इंद्र चंद और उनके परिवार का कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है। ऐसे में विभाग का यह नोटिस सवाल खड़े करता है। यह नोटिस विभाग की लापरवाही की वजह से गया है या खानापूर्ति के लिए आम आदमी को बली का बकरा बनाया गया है, यह जांच का विषय है।
बता दें कि इंद्र चंद एक सामान्य सी प्राइवेट नौकरी करते हैं। हाल ही में लॉक डाउन के दौरान जब वे पहली बार गेहूं लेने गये तो डिपो होल्डर ने यह कहते हुए उन्हें गेहूं नहीं दिया कि आपके राशन कार्ड पर गेहूं नहीं मिल सकता। एपीएल श्रेणी के इस राशन कार्ड पर डिपो होल्डर गेहूं नहीं देता है तथा रसद विभाग कहता है कि 20 किलो गेहूं उठाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व में ख़बरमंडी ने राशन घोटाला करने वाले करीब 19 राशन होल्डरों के नाम उजागर किए थे। इंद्र चंद के कार्ड से उठा 20 किलो गेहूं भी इसी घोटाले का हिस्सा हो सकता है। गांधी चौक के मोहम्मद हनीफ की सरकारी दुकान से यह राशन कार्ड जुड़ा है। बता दें कि पूर्व में उजागर किए नामों पर आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। दो चार डिपो होल्डर्स को अंदर ही अंदर सस्पेंड किया गया था, जिन्हें कुछ बाद बहाल कर दिया गया। सूत्रों का कहना है कि रसद विभाग के अधिकारियों तक इस गबन के खेल में बंदरबांट होती है, ऐसे में ठोस कार्रवाई करे भी तो कैसे करें। अब देखना यह है कि कलेक्टर नमित मेहता इस फर्जी नोटिस व राशन घोटाले पर कोई ठोस कदम उठाते हैं या पूर्व अधिकारियों की भांति मामले में खानापूर्ति करते हैं।
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