07 May 2020 09:25 PM
-गोविंद सारस्वत
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। कोरोना महामारी के इस संकट से भारत सहित पूरा विश्व झूझ रहा है। सम्पूर्ण देश में लॉकडाउन है, बहुत कुछ परेशानियां भी आम लोगों को हो रही हैं किंतु ये परेशानियां हमारी ही कुशलता के लिए है। लॉक डाउन के दौर में शराबबंदी भी हुई, लेकिन बिक्री रुकी नहीं बल्कि काला बाजारी व नकली शराब का धंधा खूब पनपा। शराब बिक्री से प्रतिबंध हटाने के पीछे भी शायद यही कारण रहा हो। अगर ऐसा है तो शराब से भी अधिक बिकने वाला पानमसाला ,तम्बाकू, जर्दा, बीड़ी सिगरेट अभी भी प्रतिबंधित क्यूं है? सरकार ने अब तक इस पर कोई ठोस कदम क्यूं नहीं उठाया। इन उत्पादों की कालाबाजारी इन दिनों चरम पर है, 5 रूपए बिक्री वाली पुड़िया के 80रू वसूले जा रहे हैं। यह और भी अधिक चिंता का विषय है कि "ब्लैकिया" जो आम बोलचाल का एक भद्दा संबोधन है, वह 14 से 20 साल के लड़कों के लिये भी प्रयोग होने लगा है। मुनाफे के लालच में आठवीं से बारहवीं में पढ़ने वाले लड़के भी ये काम करने लगे हैं। चूंकि तम्बाकू आम व्यसन है इसलिए सब इसे हल्के में ले रहे है, लेकिन इस तरह के कार्यों से जिस तरह की मानसिकता का विकास हो रहा है वह बहुत खतरनाक है। कुछ लोगों का कहना है कि तम्बाकू सुपारी के व्यवसाय से हर शहर में लगभग 10000 लोग जुड़े हैं, इसलिए भी प्रतिबंध खत्म करना चाहिये। मैं ये नहीं कहता कि प्रतिबंध हटा दो मगर कालाबाजारी रोकने पर ठोस कदम तो उठाया जाए। सरकार प्रतिबंध लगाती है लेकिन ये उत्पाद बनाने वाली फैक्ट्रियां धड़ल्ले से माल तैयार करती है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वह इन फैक्ट्रियों को सील करें। सरकार से मेरी अपील है कि अगर फैक्ट्री बंद करवाके पूर्ण प्रतिबंध नहीं लगा सकते तो इस पर भी शराब की तरह प्रतिबंध हटा दें, ताकि देश का आने वाला कल ये छोटे छोटे बालक ब्लैकिया बनकर जीवन खराब ना कर पाएं।
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