18 October 2020 10:42 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। पीबीएम में अल्प वेतन पर काम कर गुजारा करने वाले कर्मचारियों की सैलरी के प्रकरण में अब तक कोई प्रगति नहीं हो पाई है। आर के मानव संस्थान नाम की ठेकेदार फर्म के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। नतीजतन, करीब 6 हज़ार की मासिक सैलरी पाने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर, नर्सिंग आदि कर्मचारी पांच माह से अधिक समय की सैलरी ना मिलने से बुरे हालातों में जीवन निर्वहन कर रहे हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि कर्मचारियों के साथ की जा रही इस आर्थिक प्रताड़ना के मामले में प्रशासन भी खामोश है।
पीबीएम अधीक्षक डॉ मोहम्मद सलीम का कहना है कि ठेकेदार का हिसाब ही साफ सुथरा नहीं है। वहीं टेंडर के नियमों की पालना भी ठेकेदार कर नहीं रहा है। ठेकेदार को कर्मचारियों की सैलरी का भुगतान करने के लिए कई बार कहा जा चुका है। वहीं उससे साफ सुथरा हिसाब भी मांगा जा चुका है। आर के मानव संस्थान का पीएफ का हिसाब साफ सुथरा नहीं रहता, ऐसे में उसका पेमेंट करना संभव नहीं हो रहा। वहीं कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए वह बाध्य है। अगर कोई ठेकेदार चार-पांच माह की सैलरी भी जेब से देने में सक्षम नहीं है तो उसे सरकारी टेंडरों में भाग ही नहीं लेना चाहिए।
दूसरी तरफ सूत्रों का दावा है कि संस्थान ने पीएफ के हिसाब में बड़ा गड़बड़झाला कर रखा है। अगर इसकी निष्पक्ष प्रशासनिक जांच हो तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। सूत्रों का कहना है कि वर्षों से अल्प वेतन भोगी कर्मचारियों को सैलरी के लिए प्रताड़ित करने व पीएफ जमा करवाने में गड़बड़झाला करने वाले ठेकेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही। इसी वजह से इनका हौसला बढ़ता जा रहा है। सवाल यह है कि इतने बड़े स्तर पर हो रहे गड़बड़झाले के खिलाफ अब तक के अधीक्षक व प्रशासनिक अधिकारी मौन कैसे रहे??? गरीब कर्मचारियों से आर्थिक प्रताड़ना के इस मामले में सक्षम अधिकारियों द्वारा फर्म के खिलाफ कार्रवाई न करना उनकी भूमिका को शक के दायरे में लाता है।
उल्लेखनीय है कि ठेकेदार द्वारा लगातार जून-जुलाई तक की सैलरी का भुगतान कर दिए जाने का दावा किया जाता रहा है। लेकिन कर्मचारियों के अकांउट में मार्च-अप्रेल तक की सैलरी ही क्रेडिट हुई है। ऐसे में आर के मानव संस्थान के दावे खोखले नज़र आ रहे हैं। वहीं पीएफ के मामले में भी संस्थान द्वारा खुद को क्लीन चिट दी जा रही है, जबकि कर्मचारियों द्वारा आरोप लगाए जा रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वे खुलेतौर पर ठेकेदार के खिलाफ शिकायत देंगे तो उन्हें नौकरी से निकाले जाने का ख़तरा है, लेकिन पीबीएम अधीक्षक व कलेक्टर नमित मेहता इस मामले में हस्तक्षेप कर जांच करवाएं तो सबकुछ साफ हो जाएगा।
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