09 June 2021 04:21 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। कांग्रेस का एक और बड़ा नाम अब बीजेपी में शामिल हो गया है। तीन बार की हार के बाद कांग्रेस में बेरुखी का शिकार हो रहे पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री जितिन प्रसाद आज अधिकारिक रूप से बीजेपी में शामिल हो गए हैं। यूपी में बड़ा व युवा ब्राह्मण चेहरा माने जाने वाले जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने पर अमित शाह ने उनके साथ का एक फोटो शेयर कर स्वागत किया है। जितिन प्रसाद का बीजेपी में शामिल होना यूपी में नई राजनीति की ओर भी इशारा कर रहा है। बड़े पद को लेकर हमेशा महत्वाकांक्षी रहे जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद ने 2000 में सोनिया गांधी की खिलाफत की थी। उन्होंने सोनिया के सामने कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। 2001 में उनका निधन हो गया। इसके बाद जितिन प्रसाद ने 2004 में लोकसभा सीट शाहजहांपुर से चुनाव लड़ा। वे विजयी हुए। 2009 में धौरहरा से चुनाव लड़े, तब भी जीत मिली। 2008 में उन्हें केंद्रीय राज्य इस्पात मंत्री, 2009-11 सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री, 2011-12 में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री व 2012-14 में मानव संसाधन एवं विकास मंत्री का जिम्मा मिला। 2014 में मोदी लहर चली। यहीं से जितिन प्रसाद की हार के दिन शुरू हो गए। वे 2014 व 2019 में लोकसभा चुनाव हारे। इस बीच 2017 में योगी लहर में विधायक के लिए चुनाव लड़ा, वह भी हार गए। इतना ही नहीं जितिन प्रसाद ने कांग्रेस उपाध्यक्ष रह चुके हैं। राजीव गांधी व पीवी नरसिम्हा राव के सलाहकार भी रह चुके हैं।
जितिन के बीजेपी में आगमन ने यूपी की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है। सवाल है कि हमेशा पदों पर रहने के आदी जितिन प्रसाद को बीजेपी में क्या मिलेगा? क्या जितिन योगी के विकल्प के रूप में बीजेपी में लाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में योगी व केंद्र के बीच मनमुटाव की ख़बरें भी चली थी। ऐसे में क्या यह यूपी में किसी परिवर्तन की सुगबुगाहट है। बता दें कि जितिन प्रसाद 48 साल के युवा नेता माने जाते हैं। उनके दादा ज्योति प्रसाद भी कांग्रेस नेता था। वहीं परनानी पूर्णिमा देवी रविन्द्र नाथ टैगोर के भाई हेमेंद्र नाथ की बेटी थी। ऐसे में जितिन को बीजेपी में शामिल करने के पीछे बंगाल भी टारगेट हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि 2019 की हार के बाद से ही प्रियंका गांधी से उनका मनमुटाव चलने लगा। पिछले वर्ष अगस्त में जब कांग्रेस के 23 नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान को पत्र लिखा था, उसी समय लखीमपुर खीरी से भी उनका विरोध मुखर हुआ। उनके निलंबन हेतु पत्र भी लिखा गया था।
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