26 May 2022 06:44 PM

	
				  
				      	 
			     
	
				  
				      	 
			     
ख़बरमंडी न्यूज़, दिल्ली। वेश्यावृत्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं। गुरुवार को एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने स्वेच्छा से वेश्यावृत्ति करने को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया। हालांकि वेश्यालय चलाना गैर कानूनी ही माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने समस्त राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को आदेश दिए हैं कि वे सेक्स वर्कर्स के काम में हस्तक्षेप ना करें। अगर सेक्स वर्कर बालिग है तथा स्वेच्छा से सेक्स वर्क करती है तो उस पर किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। एससी ने पुलिस को आदेश देते हुए कहा कि उन्हें सेक्स वर्कर्स के काम में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट कोरोना के दौरान सेक्स वर्कर्स को आई परेशानियों से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस बीआर गवई व जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने सेक्स वर्कर्स के अधिकारों की रक्षा हेतु 6 निर्देश भी जारी किए हैं। सेक्स वर्कर्स भी देश के नागरिक हैं। उनके भी अन्य नागरिकों के समान अधिकार है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्वेच्छा से वेश्यावृत्ति को अपराध नहीं बताया मगर वेश्यालय चलाने को गैरकानूनी करार दिया। बेंच ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को सम्मान जनक जीवन जीने का अधिकार है। ऐसे में पुलिस किसी वजह से सेक्स वर्कर्स के घर छापेमारी करती है तो सेक्स वर्कर्स को गिरफ्तार व परेशान न करें। अगर कोई अपनी मर्जी से वेश्या बनती है तो यह अवैध नहीं है। सिर्फ वेश्यालय चलाना ही गैरकानूनी है।
एक और महत्वपूर्ण आदेश देते हुए एससी ने कहा कि किसी बच्चे को सिर्फ इसलिए उसकी मां से अलग नहीं किया जा सकता कि वह महिला सेक्स वर्कर है। अगर बच्चा वेश्यालय या सेक्स वर्कर के साथ रहता है तो इससे यह साबित नहीं होता कि वह तस्करी कर लाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस व जांच एजेंसियों को सेक्स वर्कर्स के प्रति संवेदनशीलता रखने की हिदायत दी। उनके साथ शारीरिक अथवा मौखिक दुर्व्यवहार ना करने को कहा। अगर किसी सेक्स वर्कर के साथ जबरदस्ती होती है तो उसे भी एक सामान्य महिला कि तरह कानूनी व मेडिकल सुविधाएं दी जाएं। उसकी सुनवाई करते हुए उसकी सुरक्षा की जाए। कोर्ट ने कहा कि कोई भी किसी सेक्स वर्कर को यौन गतिविधि के लिए मजबूर नहीं कर सकता। यह उसकी स्वेच्छा का विषय है।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को सेक्स वर्कर्स से जुड़े मामले की कवरेज हेतु दिशा निर्देश जारी करने की अपील की है। सेक्स वर्कर्स की गिरफ्तारी, छापे या किसी अन्य अभियान के दौरान पहचान उजागर न हो।
RELATED ARTICLES
 
           
 
          