15 November 2021 07:55 PM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। प्रदेश सहित देशभर में भ्रष्टाचार रोकने के सारे उपाय विफल साबित हो रहे हैं, उल्टा भ्रष्टाचार हर पल अपनी जड़ें और अधिक फैलाता जा रहा है। इसका एक कारण भ्रष्टाचार को रोकने वाले तंत्र की खामी है। ऐसा ही कुछ मामला सामने आया जो इस खामी को साबित करता है। बीकानेर संभाग के सबसे बड़े अस्पताल पीबीएम में एम आर आई सहित विभिन्न जांचों के लिए लंबे समय से एक ही फर्म को ठेका दिया जा रहा है। महाराजा सिटी स्कैन नाम की इस फर्म ने दस-दस सालों के लिए एकमुश्त ठेका प्राप्त कर रखा है। 30 सितंबर 2019 को एडवोकेट विजय दीक्षित ने लोकायुक्त राजस्थान को एम आर आई का ठेका एक ही फर्म को दिए जाने की शिकायत भेजी थी। लेकिन लोकायुक्त सचिवालय ने किसी प्रकार से एक्शन नहीं लिया। अब दो साल पूरे होने पर शिकायत नस्तीबद्ध करने की लिखित जानकारी भेजी गई है। दीक्षित ने बताया कि परिवाद को नस्तीबद्ध करने का कारण शपथ पत्र का अभाव बताया गया है। जबकि शपथ पत्र मांगा भी जा सकता था।
सवाल यह है कि लोकायुक्त जैसे सर्वोच्च विभाग द्वारा शपथ पत्र के अभाव में परिवाद खारिज अथवा खत्म करने में ही दो साल लगाए जाएंगे तो जांच कर भ्रष्टाचार रोकने में कितने सालों तक इंतजार करना पड़ेगा। लोकायुक्त ही अगर भ्रष्टाचार रोकने हेतु प्रतिबद्ध नहीं होंगे तो आम आदमी किसकी शरण में जाएगा ?
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों ख़बरमंडी न्यूज़ ने भी महाराजा सिटी स्कैन की तानाशाही उजागर करती ख़बर प्रकाशित की। यह तानाशाही एकाधिकार का ही परिणाम है। महाराजा को ईसीजी का ठेका भी 2013 में मिला था। जिसकी अवधि 2022 अगस्त में पूरी होगी। पीबीएम प्रशासन से लेकर आमजन इस फर्म की तानाशाही से परेशान हैं।
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