22 November 2022 12:06 AM
ख़बरमंडी न्यूज़, बीकानेर। बीकानेर कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल से मंत्री द्वारा भरे मंच से दुर्व्यवहार करने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। सुबह के घटनाक्रम के बाद बीकानेर से जयपुर तक मंत्री रमेश चंद्र मीणा के खिलाफ मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिए जा चुके हैं। जयपुर में आईईएस एसोसिएशन ने मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक बात पहुंचाने का आग्रह किया है। आईएएस एसोसिएशन ने मंत्री द्वारा किए गए दुर्व्यवहार को लेकर आक्रोश व्यक्त किया है। दूसरी तरफ मंत्री रमेश चंद्र के खुद के विभाग के ही कर्मचारी संघ ने मंत्री को पद से बर्खास्त करने की मांग की है। संघ की इकाई ने अतिरिक्त संभागीय आयुक्त एएच गौरी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपकर आक्रोश व्यक्त किया। तीसरा ज्ञापन राजस्थान राजस्व मंत्रालयिक कर्मचारी संघ व चौथा ज्ञापन पटवार संघ ने दिया है। कलेक्टर से जुड़े इस मसले पर इन कर्मचारी संघों ने प्रदर्शन व नारेबाजी तक की है। बात यहीं नहीं रुकी, बीजेपी व आम आदमी पार्टी ने भी मंत्री रमेश चंद्र द्वारा कलेक्टर के साथ किए गए दुर्व्यवहार को लेकर विरोध जताया है।
ये था मामला: सोमवार सुबह रविन्द्र रंगमंच पर राजीविका स्वयं सहायता समूहों की महिला सदस्यों से संवाद कार्यक्रम चल रहा था। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री रमेश चंद्र मीणा इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल थे। वहीं कलेक्टर भगवती प्रसाद कलाल मंचासीन थे। मंत्री रमेश चंद्र का संबोधन चल रहा था। इसी दौरान कलेक्टर भगवती प्रसाद फोन प्रयोग करते दिखे। इतने में मंत्री रमेश चंद्र आपा खो बैठे। बोले, 'ये क्या तरीका है, आपको हमारी बात सुनने का समय नहीं है, माइक पर बोल रहे मंत्री ने भरी सभा में कलेक्टर से दुर्व्यवहार किया। यहां तक कि कलेक्टर को जाने का भी कह दिया। कलेक्टर उसी क्षण उठकर चले गए। घटनाक्रम के वीडियो वायरल हुए, मामला गरमा गया।
हालांकि मंत्री के अनियंत्रित शब्द यहीं पर नहीं रुके। कार्यक्रम के बाद मीडिया से रूबरू होते वक्त मंत्री की एक टिप्पणी भी अमर्यादित करार दी गई है। ज्ञापन में इस टिप्पणी का भी उल्लेख है। दरअसल, मामले पर बात करते हुए मंत्री ने कहा था कि जो घोड़ी होती है, जो घोड़ा होता है, उस पर सवार होने वाले पर निर्भर होता है।
उल्लेखनीय है कि कलेक्टर किसी भी जिले का गरिमापूर्ण सर्वोच्च पद होता है। वें जिला मजिस्ट्रेट भी होते हैं। बड़े से बड़े नेता का कलेक्टर के प्रति व्यवहार शालीन होना चाहिए। मगर मंत्री रमेश चंद्र अपना आपा ही खो बैठे। सार्वजनिक तौर पर मंत्री द्वारा किए गए इस दुर्व्यवहार की हर तरफ निंदा हो रही है। मामला अगर इसी तरह गरमाता गया तो मंत्री के सामने मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।
बता दें कि जिले का सर्वोच्च पद होने के कारण कलेक्टर की जिम्मेदारियां भी बड़ी होती हैं। ऐसे में कलेक्टर को हर वक्त मोबाइल के साथ जुड़े रहना व्यवहारिक तौर पर अनिवार्य हो जाता है।
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